अमृत महोत्सव किसी सरकार या राजनीतिक दल का नहीं बल्कि सभी देशवासियों का कार्यक्रम : प्रधानमंत्री
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ का उत्सव मनाने के लिए शुरू किये गये 'अमृत महोत्सव' को किसी सरकार या राजनीतिक दल का नहीं बल्कि सभी भारतवासियों का बताया। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के मद्देनजर इसबार 15 अगस्त को अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्रगान गाने के लिए प्रेरित करने को लेकर अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने देशवासियों से अपनी दिनचर्या में लोकल उत्पादों की खरीद को शामिल करने का आह्वान करते हुए कहा कि खादी खरीदना भी राष्ट्र की सेवा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 79वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि इसबार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है। ये हमारा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं।
मणिपुर के मोइरांग कस्बे का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इस स्थान पर कभी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) का एक प्रमुख ठिकाना था। आजादी के पहले ही आईएनए के कर्नल शौकत मलिक ने इस स्थान पर झंडा फहराया था। उन्होंने कहा कि 'अमृत महोत्सव' के दौरान 14 अप्रैल को उसी मोइरांग में एकबार फिर तिरंगा फहराया गया। ऐसे कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें 'अमृत महोत्सव' में देश याद कर रहा है। सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा ही एक आयोजन 15 अगस्त को राष्ट्रगान को लेकर किया जा रहा है। सांस्कृतिक मंत्रालय की कोशिश है कि इस दिन ज्यादा-से-ज्यादा भारतवासी मिलकर राष्ट्रगान गाएं, इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है-राष्ट्रगानडॉटइन। इस वेबसाइट की मदद से राष्ट्रगान गाकर उसे रिकॉर्ड कर इस अभियान से जुड़ पाएंगे। मुझे उम्मीद है, आप, इस अनोखी पहल से जरूर जुड़ेंगे। इसी तरह के बहुत सारे अभियान, बहुत सारे प्रयास, आपको, आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रोज के कामकाज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं। वोकल फॉर लॉकल का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि देश के स्थानीय उद्यमियों, आर्टिस्टों, शिल्पकारों, बुनकरों को सहयोग करना, हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए। 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर हम प्रयास पूर्वक भी ये काम कर सकते हैं। इसी दिन, 1905 में, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद से ही 'मन की बात' में हम अक्सर खादी की बात करते हैं। आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि क्या कोई सोच सकता था कि खादी के किसी स्टोर से एक दिन में एक करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री हो सकती है। मोदी ने कहा कि आप जब भी कहीं पर खादी का कुछ खरीदते हैं, तो इसका लाभ, हमारे गरीब बुनकर भाइयो- बहनों को ही होता है। इसलिए, खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा और देश-सेवा भी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ग्रामीण इलाकों में बन रहे हथकरघा उत्पाद खरीदने और उसे #MyHandloomMyPride के साथ शेयर करने का आह्वान किया।