देश में अप्रैल 2023 तक निजी ट्रेनों के चलने की संभावना : रेलवे

Update: 2020-07-02 14:06 GMT

नई दिल्ली। देश में निजी ट्रेन परिचालन अप्रैल 2023 तक शुरू हो जाएगा और इन ट्रेनों में टिकट का किराया समान मार्गों पर हवाई किराए के प्रतिस्पर्धी होगा। रेलवे का दावा है कि निजी ट्रेनों के आने के बाद सभी यात्रियों को कंफर्म टिकट मिलने लगेगा।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष (सीआरबी) विनोद कुमार यादव ने गुरुवार को एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यात्री ट्रेन संचालन में निजी कंपनियों का मतलब होगा कि उच्च गति पर चलने वाले कोच में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में तेजी आना। उन्होंने कहा कि निजी ट्रेनों के परिचालन के लिए इस साल नवंबर तक वित्तीय बोली आमंत्रित किये जाने की उम्मीद है। 2021 के फरवरी व मार्च तक वित्तीय बोली के आधार पर क्लस्टरों का आवंटन कर दिया जायेगा और उम्मीद है कि अप्रैल 2023 तक देश में निजी ट्रेन चलनी शुरू हो जाएंगी।

यादव ने कहा कि प्रौद्योगिकी में सुधार का मतलब यह भी होगा कि जिन कोचों को अब 4,000 किमी चलने के बाद रखरखाव की आवश्यकता होती है, उन्हें हर 40,000 किलोमीटर के बाद रखरखाव की आवश्यकता होगी, जो कि महीने में एक या दो बार होता है।

रेलवे द्वारा औपचारिक रूप से 151 आधुनिक रेलगाड़ियों के माध्यम से 109 जोड़े मार्गों पर निजी कंपनियों को अपने नेटवर्क पर यात्री गाड़ियों को संचालित करने की अनुमति देने की योजना शुरू करने के एक दिन बाद उनका बयान आया।

रेलवे ने बुधवार को ही इसके लिए रिक्‍वेस्‍ट फॉर क्‍वालिफिकेशन डाक्‍यूमेंट (आरएफक्‍यू) अर्थात निविदा प्रक्रिया शुरू की थी। रेलवे नेटवर्क निजी कंपनियों को सौंपा जाने की आशंकाओं पर सफाई देते हुए यादव ने कहा कि यात्री ट्रेन परिचालन में निजी भागीदारी भारतीय रेलवे पर मौजूदा 2800 मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का केवल पांच प्रतिशत होगी। उन्होंने कहा, ट्रेन कोच निजी ऑपरेटरों को लाने होंगे और उनका रखरखाव करना होगा।

निजी ट्रेन संचालन अप्रैल 2023 तक शुरू होने की संभावना है, सभी कोच मेक इन इंडिया नीति के तहत खरीदे जाएंगे। निजी ट्रेनों में किराया प्रतिस्पर्धी होगा और एयरलाइंस, बसों जैसे परिवहन के अन्य माध्यम को ध्यान में रखते हुए तय होगा। यादव ने कहा कि निजी ऑपरेटर रेल मार्ग, स्टेशनों, रेलवे के बुनियादी ढांचे तक पहुंच और बिजली की खपत के लिए तय शुल्क का भुगतान करेंगे। यह प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से भारतीय रैलियों के साथ राजस्व भी साझा करेगा।

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