नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में इन दिनों एक ही मुद्दे पर अपने-अपने हिसाब से बयान दे रहे हैं। नेतृत्व के मुद्दे पर आपसी नाराजगी से जूझ रही कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी के मुद्दे पर भी दो खेमे में बंट गई है। कांग्रेस वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी में शामिल नहीं होने का सरकार का फैसला दुर्भाग्यूपर्ण है क्योंकि यह प्रक्रिया भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है।
करीब एक साल पहले कांग्रेस ने RCEP में भारत के शामिल होने संबंधी किसी भी कदम का पुरजोर विरोध किया था। बाद में सरकार ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया था। इस पर कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके शीर्ष नेताओं के दबाव में सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े।
शर्मा ने ट्वीट किया, ''RCEP में शामिल नहीं होने का भारत का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है। इस एशिया-प्रशांत एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनना भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है।'' उन्होंने कहा, ''इससे पीछे हटने से उस वर्षों की बातचीत पर पानी फिर गया है जो भारत को RCEP का हिस्सा बनाने के लिए की गई थी। हम अपने हितों के लिए सुरक्षा कवच सुनिश्चित करने के बारे में बातचीत कर सकते थे। RCEP से दूर रहना एक प्रतिगामी कदम है।''
बीते साल कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। पार्टी महासचिवों और प्रभारियों की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाने की तैयारी में है।
सोनिया गांधी ने कहा था कि सरकार 16 आसियान देशों के क्षेत्रीय मुक्त व्यापार (एफटीए) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर हस्ताक्षर करके एक और झटका देने के लिए तैयार है। यह हमारे किसानों, दुकानदारों, छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए गंभीर नतीजों और मुसीबत का कारण बनेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि एक नागरिक के रूप में यह मेरे लिए अत्यंत दुख की बात है कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था अवरुद्ध है। इससे भी ज्यादा चिंता का विषय यह है कि सरकार इस सच्चाई को नकार रही है। मंदी की गंभीरता को स्वीकार करके व्यापक समाधान तलाशने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी सुर्खियों में बने रहने और आयोजनों के प्रबंधन में व्यस्त हैं। इसकी कीमत किसी और को नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों, विशेषकर बेरोजगार युवकों, किसानों को चुकानी पड़ रही है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ''जब तक कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर विचार नहीं रखेगी, तब तक मैं अपना अंतिम दृष्टिकोण सामने नहीं रखूंगा।'' उन्होंने कहा कि RCEP में भारत के शामिल होने के पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें है। लेकिन यह बहस संसद में या लोगों के बीच या विपक्षी दलों को शामिल करके कभी नहीं हुई। यह एक लोकतंत्र में 'केंद्रीयकृत निर्णय लेने का' एक अस्वीकार्य और बुरा उदाहरण है।
आरसीईपी, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 10 सदस्य राज्यों, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और पांच ASEAN के FTA साझेदार - ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया। के बीच एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है। इस साल मई में, चीन ने कहा कि वह उचित समय पर आरसीइपी पर वार्ता के लिए भारत का स्वागत करेगा।