कृषि मंत्री तोमर ने कहा- नया भारत गढ़ने में कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण

मंत्री तोमर ने शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसाइटी की 94वीं आम बैठक को संबोधित किया

Update: 2023-03-10 14:47 GMT

नईदिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दुनिया का सबसे बड़ा व व्यापक अनुसंधान संस्थान है। संस्थान की अब तक की प्रगति प्रशंसनीय है। चाहे उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करना हो, उत्पादकता बढ़ानी हो या जलवायु अनुकूल फसलें उत्पन्न करने की चुनौती हो, हर क्षेत्र में हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

तोमर ने शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसाइटी की 94वीं आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन काल में परंपरागत खेती के बाद कृषि के क्षेत्र की प्रगति में किसानों के परिश्रम के साथ ही वैज्ञानिकों का अनुसंधान मील का पत्थर साबित हुआ है। अब तक यह यात्रा संतोषजनक रही है, लेकिन देश को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने के लिए वर्ष 2047 तक अमृत काल की चुनौतियों का समाधान, उन पर विजय प्राप्त करना हमारा लक्ष्य है।तोमर ने कहा कि वर्ष 2047 तक नए भारत को गढ़ने का लक्ष्य है। नए भारत के लिए नया विज्ञान, अनुसंधान, नया कौशल और नया इनोवेशन चाहिए क्योंकि आने वाला कल नए भारत का है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादों का 04 लाख करोड़ रु. से अधिक का निर्यात हुआ है, जो अब तक का सबसे अधिक है। आने वाले समय में प्राकृतिक खेती व जैविक खेती के हमारे उत्पाद दुनिया में और भी ज्यादा लोकप्रिय होने वाले हैं। भविष्य में हमारा निर्यात और बढ़ेगा, ऐसा विश्वास लेकर काम करने की जरूरत है। साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता वैश्विक मानकों पर खरी उतरने वाली हो, इसकी चिंता करना होगी। प्राकृतिक खेती पर सरकार का बल है। प्रधानमंत्री मोदी का आग्रह है कि हम प्राकृतिक खेती यानी गाय आधारित खेती करें। वेस्ट टू वैल्थ का काम हो। हमारे उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा भी अधिक रहे।

कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 अंतरराष्ट्रीय मिलेट (श्री अन्न) वर्ष है। 18 मार्च को प्रधानमंत्री इसे विधिवत लांच करने वाले हैं। अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मात्र कोई इवेंट नहीं बल्कि श्री अन्न के उत्पादन, उत्पादकता और बाजार को बढ़ाने का एक बड़ा प्रकल्प है। इस दौरान देशभर में जितने कार्यक्रम हो रहे हैं, उनके माध्यम से श्री अन्न की खपत व लोकप्रियता भी बढ़ रही है। दुनियाभर में श्री अन्न की लोकप्रियता के साथ जब उपभोग बढ़ेगा तो उसकी आपूर्ति की जिम्मेदारी भी भारत की रहेगी क्योंकि हम श्री अन्न के सबसे बड़े उत्पादक है। वैज्ञानिकों को इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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