उच्चतम न्यायालय ने विजय माल्या की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित

Update: 2020-08-27 08:35 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या द्वारा दायर एक याचिका पर अपना आदेश आज सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को 40 मिलियन अमरीकी डॉलर हस्तांतरित करने के लिए अवमानना का दोषी मानते हुए मई 2017 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई।

जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने माल्या समेत अन्य पक्षों के‌ वकीलों कि दलीलों पर गौर करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। माल्या ने चार करोड़ डॉलर अपने बच्चों के खातों में ट्रांसफर किए थे। इसके लिए उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था। यह फैसला 2017 में दिया गया था. इसके खिलाफ विजय माल्या ने पुनर्विचार अर्जी दाखिल की थी।

हम आपको बता दें कि शराब कारोबारी और बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9 हजार करोड़ रुपये बकाए हैं। वे 2 मार्च, 2016 को भारत छोड़कर ब्रिटेन भाग गया थे। भारतीय एजेंसियों ने यूके की कोर्ट से विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अपील की और लंबी लड़ाई के बाद यूके की अदालत ने 14 मई को माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अपील पर मुहर लगा दी।

विजय माल्या के ऊपर हाईकोर्ट ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स की तरफ से दिए गए एक फैसले का असर पड़ सकता है। 22 मिलियन डॉलर की वसूली के मामले में पंजाब नेशनल बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा के पक्ष में इंग्लैंड और वेल्स हाईकोर्ट के एक फैसले ने व्यवसायी विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम द्वारा यूके में चल रही ऋण वसूली बोली में एक मिसाल कायम की थी। पीएनबी मामले में 2012 से 2013 के बीच के दो ऋण शामिल हैं, जिनमें भारत के सुपीरियर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के व्यवसायी प्रदीप अग्रवाल शामिल हैं और क्रूज़ लाइनर, एमवी डेल्फिन को खरीदने और संचालित करने के लिए लोन के बकाए का भुगतान नहीं किया था।

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