सुप्रीम कोर्ट ने लोन की EMI में राहत देने वाली याचिका पर सुनवाई से किया इंकार
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को फिलहाल लोन की ईएमआई न चुकाने की सुविधा देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि हम वित्तीय विशेषज्ञ नहीं हैं। सरकार को वैक्सीनेशन, प्रवासी मजदूरों समेत कई मदों में खर्च करना है। बेहतर हो कि इसे सरकार को ही तय करने दिया जाए।
याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से बेरोजगारी बढ़ी है और लोगों की कमाई में काफी कमी आई है। केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ने लोगों की समस्याओं के समधान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। कोरोना की पहली लहर के दौरान रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त, 2020 को एक सर्कुलर जारी कर लोन को रिस्ट्रक्चर करने का निर्देश दिया था। कोरोना की दूसरी लहर उससे भी खतरनाक है। ऐसी स्थिति में देश के आम नागरिकों को वैसी ही सुविधा देने की तत्काल आवश्यकता है।
पिछले 6 मई को एमएसएमई सेक्टर के लिए जो योजना लाई गई थी, वो वास्तविक जरूरतमंदों की मदद करने में नाकाम है। लोगों को सैलरी नहीं मिल रही है। व्यक्तिगत आमदनी घट गई है। ऐसी स्थिति में लोगों की समस्याओं से आंखें नहीं मूंदी जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में बैंकों और वित्तीय संस्थाएं लोगों से अगले छह माह तक ईएमआई वसूलने के लिए दबाव न डालें। इसके अलावा किसी खाते को एनपीए न घोषित किया जाए।