नई दिल्ली। आयकर विभाग कोरोना महामारी के दौरान तेजी से पिछले साल के रिफंड निपटा रहा है। विभाग के सूत्रों की मानें तो करीब 1.75 लाख लोगों को संशोधित जानकारी के लिए ई-मेल भेजे गए हैं, जिनके जवाब आने के बाद उन्हें भी रिफंड दे दिया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा के रिफंड जारी किए जा चुके हैं। विभाग की तरफ से तमाम लोगों को मिले ई-मेल के बाद लोगों को ये परेशानी शुरू हो गई थी कि उन पर सफाई कैसे दें। दरअसल आयकर विभाग की तरफ से लोगों को जो ई-मेल भेजे जा रहे हैं, उनमें लोगों के रिफंड क्लेम से जुड़ा कंफर्मेशन भी मांगा जा रहा है।
आयकर विभाग के पोर्टल पर दो विकल्पों में से एक चुनना होता है। पहले विकल्प में करदाता को ये बताना होता है कि जो भी रिफंड बना है वो सही है। वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर उसमें सुधार का मौका दिया जाता है। करदाता की तरफ से इसे दोबारा फाइल करने के बाद आयकर विभाग की तरफ से रिफंड जारी किया जा रहा है। इस 'नेमलेस' 'फेसलेस' प्रक्रिया के तहत सिर्फ पांच लाख रुपये तक के रिफंड जारी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आयकर विभाग के रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम की तरफ से रिटर्न में संशोधन करने के लिए 30 दिनों का मौका भी दिया जा रहा है।
विभाग से जुड़े अधिकारी के मुताबिक इस ईमेल को लेकर परेशान होने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। ये सिर्फ लोगों को एहतियात के तौर पर भेजा जा रहा है ताकि उन्हें कमियां सुधारने के लिए एक मौका और दिया जा सके। वहीं जिन लोगों को लगता है कि उनके रिटर्न में कोई सुधार नहीं होना है तो वो पहले विकल्प को चुनकर फॉर्म सबमिट कर सकते हैं।
देश में अब तक करीब अलग-अलग श्रेणी के करीब 14 लाख से ज्यादा रिफंड किए जा चुके हैं। विभाग की तरफ से जैसे ही लोगों को ईमेल कंफर्मेशन आ रहा है उनका रिफंड भी तेजी से किया जा रहा है। नए मामलों को असेसमेंट के बाद ईमेल भी भेजने का सिलसिला लगातार जारी है। आंकड़ों के मुताबिक विभाग आने वाले कुछ दिनों में करीब चार हजार करोड़ रुपये का रिफंड और जारी करेगा।
आयकर विभाग की तरफ से जारी एक बयान में ये भी कहा गया है कि इस तरह के ई-मेल लोगों को परेशान करने के मकसद से बिल्कुल भी नहीं भेजे गए हैं। बयान के मुताबिक ये ईमेल सभी तरह के करदाताओं को भेजे जा रहे हैं। उनमें व्यक्तिगत करदाताओं के अलावा छोटी-बड़ी कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी ये मौका दिया जा रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर इस व्यवस्था को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा हो जो गलत है।
सीबीडीटी की तरफ से ये भी सफाई दी गई है कि लोगों को रिफंड उनके डिमांड को काट कर ही जारी किए जाने कि प्रक्रिया है। ऐसे में अगर किसी को लगता है कि जो डिमांड उससे मांगी जा रही हो उसका भुगतान पहले ही किया जा चुका है तो वो अपना संशोधित फॉर्म भरकर उसे देने से बच सकते हैं। जोड़ घटाने में कहीं कोई गलती न रह जाए और रिफंड न फंस जाए इसीलिए लोगों को एक बार और सुधार का मौका दिया जा रहा है, इसे टैक्स विभाग के नोटिस की तरह कतई नहीं देखा जाना चाहिए।