दिसंबर और जनवरी ये दो महीने परीक्षा की तैयारी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यह समय बच्चों के लिए जितना चुनौतीपूर्ण होता है उतना ही उनके माता-पिता के लिए भी होता है। बच्चों के साथ-साथ माता-पिता की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है कि परीक्षा के समय उनको कोई परेशानी न हो। परीक्षा के अंतिम दिनों में वे परीक्षाओं के भारी दबाव में होते हैं। इस दौरान बच्चों के चेहरे और हावभाव से उनका तनाव साफ देखा जा सकता है। ऐेसे में बच्चों पर बहुत ज्यादा नंबर लाने का दबाव नहीं डालना चाहिये बल्कि उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूती देनी चाहिए जिससे वह परीक्षा की गंभीरता को समझें और उसमें अपना सौ प्रतिशत देने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो सकें।
अच्छे नंबर: अगर आप अपने बच्चे के साथ बैठे हैं और पढ़ाई में उसकी मदद कर रहे हैं तो अपने बच्चे के साथ सकारात्मक विचारों का आदान-प्रदान ही करें। इसके अलावा बच्चे के साथ सबसे ज्यादा नम्बर लाने की ज़बरदस्ती भी न करें। बच्चे पर ज्यादा नम्बर लाने का दबाव बनाना उसके आत्मविश्वास को कम कर देगा। पौष्टिक भोजन: परीक्षा के समय बच्चों के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखना चाहिए। कोचिंग और ट्यूशन जाने की जल्दी में बच्चे ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं। दूसरी ओर बच्चे बाहरी खाने फास्टफूड आदि पर आकर्षित होते हैं। कभी कभी तो ठीक है लेकिन प्रतिदिन बाहर के नाश्ते से सेहत पर गलत असर पड़ता है।
इसलिए बच्चों के खाने में ऐसे फल और खाद्य शामिल करें जो एकाग्रता को बेहतर बनाने में सहायता करें। व्यायाम: अच्छे भोजन व आराम के साथ व्यायाम भी बहुत आवश्यक है। रनिंग, जॉगिंग, साइकिल चलाना आदि कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जो बच्चे के परिक्षा के तनाव को कम करती हैं।
सामूहिक तैयारी: परीक्षा की तैयारी में सामूहिक की गई तैयारी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए आप अपने बच्चों के कुछ खास मित्रों को एक साथ पढ़ाई करने के लिए कह सकते हैं। सामूहिक पढ़ाई से एक-दूसरे से सबंधित विषय से जुड़ी कठिनाइयां दूर होती हैै। लेकिन साथ में समय-समय पर आप देखती भी रहे कि बच्चे इधर-उधर की बात करने के स्थान पर सिर्फ अपनी पढ़ाई के विषयों पर ही चर्चा करें।
मित्रवत्र व्यवहार :माता-पिता को बच्चों के साथ मित्रवत्र व्यवहार करना चाहिए जिससे वह अपनी हर समस्या आपसे कह सकें। परीक्षा के समय में बच्चों को माता-पिता से ज्यादा एक मित्र की जरूरत होती है। जिससे वह अपनी समस्या अपने मन की बात कह सके। जब आप उसकी जगह खुद को रख कर देखेंगे तो पाएंगे कि वास्तव में उस पर परीक्षा का क्या तनाव है और उसकी क्षमता और दृष्टिकोण क्या है। अपका मित्रवत्र व्यवहार आपके बच्चों को मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करेगा।
पढ़ लो... की रटन : कुछ बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं। उनके माता-पिता हर समय पढ़ लो रट लगाए रहते हैं चाहे फिर बच्चा दिन भर पढ़ाई ही क्यों न करता हो। आपका यह व्यवहार बच्चे पर अतिरिक्त दबाव डालने का काम करता है। बेहतर होगा कि आप बच्चे से पढ़े गए विषय के बारे में पूछें, उसे आप और अच्छे से कैसे समझा सकते हैं इस पर ध्यान दें। पढ़ाई के साथ साथ कुछ देर आराम करने को भी कहें।