आपको रोजाना एक घंटा अधिक मिलेगा, पृथ्वी पर जल्द 24 की जगह 25 घंटे का होगा एक दिन
पृथ्वी पर आज के समय 24 घंटे का दिन होता है
नईदिल्ली। अक्सर कई बार समय कम पड़ने पर सोचते है थोड़ा वक्त और मिल जाता तो हम ये काम निपटा लेते। अब आपको बता दें कि आने वाले समय किसी एक काम के लिए अतिरिक्त समय नहीं बल्कि दिन में पूरा एक घंटा लोगों ज्यादा मिलने वाला है। अब आप सोचेंगे ये कैसे संभव है तो बता दें कि वैज्ञानिकों ने हाल ही में दावा किया है की पृथ्वी पर समय में बदलाव होने जा रहा है, जिसके बाद एक दिन में 24 से बढ़कर 25 हो जाएंगे। जिसका मतलब साफ है कि आपकी घड़ी में घंटा अधिक होगा।
दरअसल, ये टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख ने किया है। इस विषय पर शोध कर रहे वैज्ञानिक लीडर उलरिच श्रेइबर का कहना है किरोटेशन में उतार-चढ़ाव न केवल खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, हमें सटीक जलवायु मॉडल बनाने और अल नीनो जैसी मौसमी घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। डेटा जितना सटीक होगा, भविष्यवाणी भी उतनी सटीक होगी।' TUM के पास एक विशेष उपकरण है, जिसे रिंग लेजर कहते हैं। यह जो पृथ्वी के घूर्णन को उल्लेखनीय सटीकता के साथ मापने में सक्षम है। पृथ्वी के घूर्णन में हर दिन दिन होने वाले छोटे बदलाव को भी यह पकड़ सकता है।
ऐसे सामने आए समय में बदलाव के संकेत
बता दें कि टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख खगोल विज्ञान के क्षेत्र में शोध कर रही है। पृथ्वी से जुड़े रहस्यों और थ्वी के घूमने के पैटर्न को जानने के लिए विशेष उपकरण का उपयोग कर रहा है। इस उपकरण को रिंग लेजर कहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि लेजर रिंग एक ऐसा गायरोस्कोप है, जो धरती के 20 फीट नीचे एक खास तरह के दबाव वाले हिस्से में है। यहां से निकलने वाला लेजर धरती के घूर्णन यानी घूमने के गति में होने वाले बदलाव को तुरंत पकड़ लेता है। यहीं से घंटों के बढ़ने की संभावना पर वैज्ञानिकों ने अपनी मुहर लगाई है।
पहले 18 घंटे का था दिन
शोधकर्ताओं का कहना है की शुरुआत से पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे का नहीं था। समय के साथ इसमें बदलाव आया है जोकि आने वाले में जारी रह सकता है। डायनासोर के दौर में एक दिन में 23 घंटे होते थे, वहीँ 1.4 अरब साल पहले एक दिन 18 घंटे 41 मिनट का होता था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 20 करोड़ साल बाद एक दिन 25 घंटे का हो जाएगा।