Gita Press : गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार किया स्वीकार, 1 करोड़ की पुरस्कार राशि लेने से किया इंकार
गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 के लिए मिलेगा गांधी शांति पुरस्कार
नईदिल्ली/वेबडेस्क। धार्मिक पुस्तकों के विश्व के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 के लिए सरकार ने गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह ऐलान रविवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ज्यूरी के फैसले के बाद संस्कृति मंत्रलाय ने किया है। इसके बाद गीता प्रेस ने घोषणा करते हुए कहा कि कि वह सम्मान जरूर स्वीकार करेगा लेकिन इसके साथ मिलने वाली धनराशि नहीं लेगा।
गीताप्रेस के प्रबंधक डा. लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस की स्थापना के समय ही इसके संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयंदका ने तय कर दिया था कि इस प्रेस को संचालित करने के लिए किसी भी तरह का सहयोग या चंदा नहीं लिया जाएगा। इसलिए गीता प्रेस कोई अनुदान या पुरस्कार की धनराशि स्वीकार नहीं करता है। प्रेस गांधी शांति सम्मान स्वरुप मिलने वाली एक करोड़ की धनराशि नहीं लेगा लेकिन सम्मान सहर्ष स्वीकार करेगा।
14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित
बता दें कि 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने अभी तक 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इनमें 16.21 करोड़ श्रीमद्भगवद्गीता शामिल हैं। संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों में विज्ञापन पर भरोसा नहीं किया है। गीता प्रेस अपने संबद्ध संगठनों के साथ, जीवन की बेहतरी और सभी की भलाई के लिए प्रयासरत है।
क्या है गांधी शांति पुरस्कार -
रविवार को संस्कृति मंत्रालय ने ऐलान किया था कि गीता प्रेस गोरखपुर को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा। गांधी शांति पुरस्कार महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में 1995 में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए खुला है। पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु प्रदान की जाती है।
अब तक इन हस्तियों को मिला पुरस्कार -
हाल के पुरस्कार विजेताओं में सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (2020), बांग्लादेश शामिल हैं। पिछले पुरस्कार विजेताओं में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी, अक्षय पात्र, बेंगलुरु, एकल अभियान ट्रस्ट, भारत और सुलभ इंटरनेशनल, नई दिल्ली जैसे संगठन शामिल हैं।यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉ. नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जूलियस न्येरेरे, सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष (श्रीलंका) डॉ. एटी अरियारत्ने, जर्मनी के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, डॉ. जॉन ह्यूम (आयरलैंड), चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति वाक्लाव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, चंडी प्रसाद भट्ट और योही ससाकावा (जापान) को भी दिया जा चुका है।