नौसेना की बढ़ी ताकत, बड़े में शामिल हुआ मिसाइल डिस्ट्रॉयर जंगी जहाज 'इंफाल'
नौसेना के मुताबिक़ इस जहाज को मौजूदा वर्ष के अंत तक बेड़े में शामिल करने की योजना है।
नईदिल्ली। भारतीय नौसेना को आज मुंबई के मझगांव शिपबिल्डर्स से पी-15बी क्लास स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर का तीसरा युद्धपोत ‘इंफाल’ मिल गया। यह नौसेना के लिए बनाए जा रहे 4 जहाजों में से तीसरा है, जिसे जल्द ही नौसैनिक बेड़े में शामिल करने से भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी। प्रोजेक्ट 15बी के तहत तैयार किया गया तीसरा जंगी जहाज इंफाल पहली बार इसी साल अप्रैल में समुद्री परीक्षण के लिए रवाना किया गया था।
विशाखापत्तनम श्रेणी के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक के तीसरे जहाज आईएनएस इंफाल का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) में किया गया है। जहाज के निर्माण की आधारशिला 19 मई 2017 को रखी गई थी और इसे 20 अप्रैल 2019 को मुंबई के मझगांव डॉक लिमिटेड में लॉन्च किया गया था। इस जहाज का नाम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंफाल की लड़ाई लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की मान्यता में रखा गया है। यह भारतीय नौसेना का पहला जहाज है, जिसका नाम पूर्वोत्तर भारत के एक शहर के नाम पर रखा गया है।
राडार से बचने में सक्षम
भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के तहत तैयार किया गया और राडार से बचने में सक्षम तीसरा स्वदेशी विध्वंसक युद्धपोत इंफाल इसी साल 28 अप्रैल को परीक्षण के लिए पहली बार समुद्र में रवाना किया गया। युद्धपोत इंफाल को कई विशिष्ट तकनीकों तथा उच्च स्वदेशी सामग्री से लैस किया गया है। इसे नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है। इंफाल को अब तक का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत विध्वंसक युद्धपोत होने का अनूठा गौरव प्राप्त होगा। युद्धपोत इंफाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और मणिपुर राज्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।
समुद्री परीक्षणों की शुरुआत
नौसेना के मुताबिक़ इस जहाज को मौजूदा वर्ष के अंत तक बेड़े में शामिल करने की योजना है। इंफाल भारतीय नौसेना की लड़ाकू क्षमताओं में महत्वपूर्ण माध्यम से वृद्धि करेगा। इसके पहले आईएनएस मोरमुगाओ को दिसंबर 2022 में तथा प्रोजेक्ट-75 की पनडुब्बी आईएनएस वगीर को जनवरी 2023 में कमीशनिंग किया गया है। इंफाल के समुद्री परीक्षणों की शुरुआत सशक्त, आधुनिक एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मझगांव डॉक लिमिटेड के निरंतर योगदान में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर रही है।