प्रधानमंत्री मोदी ने UAE के पहले हिंदू मंदिर का किया उद्घाटन, जानिए क्या है खासियत ?

Update: 2024-02-14 13:23 GMT

अबू धाबी। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात में है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज बुधवार को पहले  हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया।  यह संयुक्त अरब अमीरात का पहला हिंदू मंदिर है। यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने दान की है।


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अबू धाबी में बने इस मंदिर का नाम बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था हिंदू मंदिर है जो दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप बना है। इसके मध्य खंड में स्वामी नारायण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। बीएपीएस मंदिर में देश के प्रत्येक अमीरात का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें हैं। इस मंदिर में लोहे और स्टील का प्रयोग नहीं किया ह। इटरलॉकिंग टेक्नोलॉजी से बीएपीएस मंदिर का निर्माण हुआ है, हजारों साल तक इस मंदिर की मजबूती यूं ही बनी रहेगी। 


शेख ने दान दी जमीन - 


साल 2015 में पहले शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने मंदिर निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन दी थी लेकिन वर्ष 2019 में अबूधाबी के 'सहिष्णुता वर्ष' मनाने के अवसर पर मंदिर के लिए 13.5 एकड़ भूमि और आवंटित कर दी। इस प्रकार 27 एकड़ भूमि पर मंदिर परिसर का निर्माण हुआ है। 

 विश्व भर में 1100 मंदिर का निर्माण - 


अबू धाबी में इस मंदिर को बीएपीएस संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है। बीएपीएस एक ऐसी संस्था है, जिसने दुनियाभर में 1,100 से ज्यादा हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है.दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण भी इसी संस्था ने किया है।  

मंदिर की खासियत - 

  • यह मंदिर पश्चिम एशिया के पत्थरों से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा।
  • इस मंदिर के सात शिखर अरब के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • इस मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है।
  • मंदिर में 410 स्तंभ, 12 पिरामिडल शिखर, दो गुंबद होंगे।
  • इस पर 7 तीव्रता तक के भूकंप का कोई असर नहीं होगा।
  • अबू धाबी में बने इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। 
  • ये मंदिर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा है।  
  • मंदिर को भव्य बनाने के लिए राजस्थान में पत्थरों पर नक्काशी की गई है।  
  • मंदिर के मध्य खंड में स्वामी नारायण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई ।  


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