अडानी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, सभी पक्षों से लिखित दलीलें मांगी

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मेहता से पूछा कि निवेशकों को जो नुकसान हुआ, उसे लेकर सरकार क्या कर रही है और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए सेबी क्या कर रही है।

Update: 2023-11-24 13:55 GMT

अडानी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नईदिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों को 27 नवंबर तक लिखित दलीलें जमा करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अडानी के शेयर में हुए निवेश की जांच की मांग की और कहा कि यह भी देखा जाए कि किसे फायदा मिला। सेबी ने कहा कि उसने हर पहलू की जांच कर ली है। सेबी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अब वो जांच के लिए समय बढ़ने की मांग नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है। अब निर्णय लेना है, हालांकि कुछ जानकारियां आनी बाकी हैं।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मेहता से पूछा कि निवेशकों को जो नुकसान हुआ, उसे लेकर सरकार क्या कर रही है और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए सेबी क्या कर रही है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोई शॉट सेलिंग हुई है तो नियम के मुताबिक कार्रवाई होगी। निवेशकों के हितों की रक्षा की जाए। इस पर मेहता ने भी इन मुद्दों पर ध्यान रखने का आश्वासन दिया। मेहता ने कोर्ट को बताया कि रेगुलेटरी फ्रेम वर्क पर विशेषज्ञ कमेटी के जो सुझाव थे, उसको भी ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एक याचिकाकर्ता ने सेबी पर आरोप लगाया है कि उसने अडानी की ओर से स्टॉक मार्केट में हेराफेरी करने से संबंधित डीआरआई के 2014 के अलर्ट को छिपाया था।

19 मई को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गठित विशेषज्ञ समिति ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अभी तक सेबी की सफाई और उपलब्ध डेटा के आधार पर कमेटी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना संभव नहीं होगा कि मौजूदा नियामक तंत्र (सेबी) की विफलता रही है। कमेटी ने कहा था कि सेबी की तरफ से की जा रही जांच अभी जारी है। कमेटी ने कहा था कि अभी तक की जांच में सेबी को अडानी ग्रुप के खिलाफ केस नजर नहीं आ रहा है। 2018 में नियमों में हुए बदलाव से विदेशों से जानकारी जुटाने में सेबी को समस्या आ रही है।

15 मई को सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि ये आरोप निराधार है कि सेबी 2016 से अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच कर रहा है। जिस जांच का याचिकाकर्ता हवाला दे रहे हैं, वो दरअसल 51 भारतीय कंपनियों को जारी ग्लोबल डिपॉजिट रसीदों (जीडीआर) के बारे में थी। इनमें कोई भी अडानी ग्रुप की कंपनी शामिल नहीं है। सेबी का कहना था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन 12 संदेहास्पद लेन-देन का जिक्र हुआ है। वो काफी जटिल है और वो दुनिया के कई देशों से जुड़ी है। उन लेनदेन से जुड़े आंकड़ों की जांच करने में काफी समय लगेगा।

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