उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ समान नागरिक संहिता कानून, मुख्यमंत्री ने कहा- रच गया इतिहास
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू कर ने वाला देश का पहला राज्य बना
देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून विधानसभा में पारित हो गया।इसी के साथ उत्तराखंड स्वतंत्र भारत में समान नागरिक कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मान नागरिक संविधान विधेयक पर कहा कि समान नागरिक संहिता केवल उत्तराखंड ही नहीं, पूरे भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने ये बात यूसीसी विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही। सदन में विधेयक को विपक्ष के प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। उसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ वीरभूमि भी है। इस देवभूमि से आज इतिहास बन रहा है। इस क्षण को उत्तराखंड ही नहीं देश भर के लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं और वो समय अब समाप्त हो रहा है।मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कोई सामान्य विधेयक नहीं है। यह उत्तराखंड देवभूमि से मौका मिलना गौरवपूर्ण क्षण है। उत्तराखंड के साथ देश के अन्य राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़े। सदन ही नहीं उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक के लिए खुशी का पल है। देवभूमि के पावन धारा को बचाने वाले लोग और प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं।
एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए सरकार कार्य कर रही है। देवभूमि की देवतुल्य जनता के सामने यूसीसी लाने का प्रस्ताव रखा था और जनता ने जनादेश दिया।“ हम हमेशा से कहते आएं हैं कि अनेकता में एकता, यही भारत की विशेषता’, यह बिल उसी एकता की बात करता है, जिस एकता का नारा हम वर्षों से लगाते आएं हैं”। “ आज हम आजादी के अमृतकाल में हैं और हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम एक समरस समाज का निर्माण करें, जहां पर संवैधानिक प्रावधान सभी के लिए समान हों ”। “जब हम समान मन की बात करते हैं तो उसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम सभी के कार्यों में एकरूपता हो बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सभी समान विचार और व्यवहार द्वारा विधि सम्मत कार्य करें”।
उन्होंने कहा कि “प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। “सामान नागरिक संहिता के विषय पर, मुझे यह कहते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमने जो संकल्प लिया था, आज इस सदन में उस संकल्प की सिद्धि होने जा रही है”। उत्तराखंड सैन्य प्रदेश है। सबके लिए एक क़ानून के लिए जनता ने मिथक तोड़कर 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत दिया।
2 लाख 33 हजार लोगों से सुझाव मिले
उन्होंने कहा कि माणा गांव से संवाद प्ररम्भ हुआ। सभी दलों को सूचना गई थी। कांग्रेस के मथुरा दत्त जोशी ने कांग्रेस की यूसीसी सुझाव पत्र को रिसीव किया। विभिन्न माध्यमों से 2 लाख 33 हजार लोगों से सुझाव मिले। समिति 02 फरवरी को यूसीसी ड्राफ्ट सौंप दिया था और हमने भी देर नहीं किया और पांच फरवरी से सत्र बुलाने के लिए कहा।
मील का पत्थर
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ही नहीं सम्पूर्ण देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। देवभूमि के सभी संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का काम करेगी। यह हिमालय और गंगा की भूमि है। यह भूमि ऋषि मुनियों के साथ वीरभूमि बलिदानियों की भूमि है। समरस समाज और सभी के लिए समान हों, इसी भाव के साथ सरकार कार्य कर रही है। श्रेष्ठ कर्म के लिए आगे बढ़ें और विधि सम्मत आगे बढ़ें, यूसीसी यही है। उन्होंने कहा कि यह अभी शुरुआत है। आज समाप्त नहीं हो रहा है। मातृशक्ति का सम्मान है। जो संकल्प लिया था। आज पूरा हो रहा है, यह खुशी है।
वोट बैंक से आगे आकर समरस समाज का निर्माण
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें राजनीति और वोट बैंक से आगे आकर समरस समाज का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी समतामूलक समाज के पक्षधर थे। इतने लंबे कालखंड के बाद शाहबानो को न्याय पाने के लिए लंबे संघर्ष करना पड़ा। अब वोट बैंक की खाई को भरना होगा। यह प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार दिलाएगा। माताएं, बहनों के साथ जुड़ी कुरीतियों को मिटाएगा। मातृशक्ति के साथ भेद भाव को समाप्त और सम्पूर्ण न्याय दिलाने का समय आ गया है। इस कानून में शामिल सभी सहभागी को पुण्य मिलेगा।
महिला सुरक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि फूट डालो शासन करने नीति के तहत इस कानून को नहीं लाया गया। तुष्टीकरण के लिए बाबा साहब के विचारों को पीछे छोड़ दिया गया था। राष्ट्र नीति और देशवासियों के सपनाें का ख्याल नहीं रखा गया। अब देवभूमि इसका साक्षी बनने जा रहा है। मातृशक्ति के संघर्षों और बलिदानियों से उत्तराखंड बना है। महिला सुरक्षा और उनके स्वावलंबन के लिए अध्याय बनने जा रहा है। अनेक देशों ने यूसीसी को लागू किया है। आज हम पांचवीं से विश्व के तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनेक ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा गया है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है।
“ समान नागरिक संहिता का विधेयक प्रधानमंत्री द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है”। “यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है”। “हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके”। “ इस संहिता में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि विवाह केवल और केवल एक पुरुष व एक महिला के मध्य ही हो सकता है। ऐसा करके हमने समाज को एक स्पष्टता देने व देश की संस्कृति को भी बचाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में उत्तराखंड से यूसीसी लाने का एक छोटा सा योगदान है। उत्तराखंड हमेशा देश के विकास में अपना योगदान दिया है। अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से अलग रखा गया है। उनके रीति-रिवाजों और परंपराओं को सुरक्षित रखा जा सकता है। किसी धर्म के साथ पूर्वाग्रह नहीं है। सभी प्रकार के बच्चों के अधिकारों और संरक्षण का ख्याल रखा गया है। बेटियों,बहनों पर अत्याचार किया जा रहा था उनको समानता लाने का काम किया गया है। शादी विवाह के लिए जोर जबरजस्ती नहीं किये जा सकते हैं। रूढ़िवादी कानून राज्य में यूसीसी आने के बाद स्वतह समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो संशोधन भी किया जाएगा।
विवाह की समान आयु -
उन्होंने कहा कि “ इस संहिता में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गयी है, वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। ऐसा करके हम उन बच्चियों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोक पाएंगे”। “अब इस कानून के ज़रिए दंपत्ति में से यदि कोई भी, बिना दूसरे की सहमति से अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से विवाह विच्छेद करने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा”। “जिस प्रकार से अभी तक जन्म व मृत्यु का पंजीकरण होता था, उसी प्रकार की प्रक्रिया को अपनाकर विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। हमारी सरकार के सरलीकरण के मंत्र के अनुरूप यह पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा”।
विवाह का पंजीकरण जरुरी -
“अब समस्त सरकारी सुविधाओं का लाभ केवल वही दंपत्ति ले पाएंगे, जिन्होंने विवाह का पंजीकरण करा लिया हो। पंजीकरण न होने की स्थिति में भी किसी विवाह को अवैध या अमान्य नहीं माना जाएगा। “यदि कोई व्यक्ति अपना पहला विवाह छिपाकर किसी महिला को धोखा देकर दूसरा विवाह करने का प्रयास करेगा तो उसका पता अब आसानी से लग सकेगा, ऐसा करने से हमारी माताओं-बहनों में एक सुरक्षा का भाव जागृत होगा”। “पति पत्नी के विवाह विच्छेद या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की अभिरक्षा (कस्टडी) उसकी माता के पास ही रहेगी”। “संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और अब तक नाजायज कहे जाने वाले बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। अब सभी संतानों को समान मानते हुए संपत्ति के अधिकार में समानता दी गयी है”। मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान सत्ता पक्ष से जय श्रीराम और विपक्ष की ओर से जय सियाराम के खूब जयकारे लगाए गए।
समान नागरिक संहिता के प्रावधान -
– सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
– पुरुष-महिला को तलाक देने के लिए समान अधिकार।
– लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी।
– लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा।
– लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार।
– महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं।
– अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर।
– बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं।
– शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी, बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं।
– उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक।
यूसीसी लागू तो क्या होगा ?
– हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून।
– जो कानून हिन्दुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी।
– बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे।
– मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी।
यूसीसी से क्या नहीं बदलेगा ?
– धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं।
– धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं।
– ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे।
– खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।