श्रीलंका में राष्ट्रपति राजपक्षे पर इस्तीफे का बढ़ा दवाब, देशभर में प्रदर्शन तेज

Update: 2022-04-11 09:38 GMT

कोलंबो। श्रीलंका में बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर इस्तीफा देना का दबाव बढ़ता जा रहा है। उनके विरोध में पूरे देश में प्रदर्शनों का दौर जारी है। श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के तहत 10,000 से अधिक लोगों ने शनिवार को कोलंबो के गाले फेस ग्रीन पार्क में रातभर प्रदर्शन किया। 

एक प्रदर्शनकारी ने रविवार सुबह छह बजे सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा, 'हम अब भी यहां हैं।' प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जनसमूह ने रातभर प्रदर्शन किया।

देश की मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव व महाभियोग के मुद्दे पर विपक्ष का साथ देने के लिए तैयार हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) शुक्रवार को ही गोटाबाया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर चुकी है। विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा राष्ट्रपति प्रणाली की समाप्ति की मांग कर चुके हैं। 

225 सदस्यीय सदन में एसजेबी व टीएनए के कुल 64 सदस्य हैं। चुनाव के समय सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के पास 150 मत थे, लेकिन 42 सांसदों ने उससे नाता तोड़ लिया है।उधर, गोटाबाया ने मौजूदा आर्थिक संकट पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है, जिसमें गठबंधन के 11 दलों के साथ-साथ 42 निर्दलीय सांसदों को भी आमंत्रित किया गया है। सरकार आर्थिक मदद के लिए सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वार्ता करने वाली है।

पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गोटाबाया सरकार पर अक्षम होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हमारे समय में ऐसा नहीं हुआ, लोगों को जरूरी सामग्री की खरीद के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ा। लोग सड़कों पर हैं और इसके लिए गोटाबाया सरकार की अक्षमता जिम्मेदार है।

सेंट्रल बैंक आफ श्रीलंका के नवनियुक्त गवर्नर नंदलाल विक्रमसिंघे ने आर्थिक संकट से पार पाने का विश्वास जताते हुए कहा कि इसके लिए सेंट्रल बैंक को स्वतंत्र छोड़ना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति गोटाबाया ने उन्हें स्वतंत्र रूप से बैंक के संचालन का अधिकार देते हुए आर्थिक संकट को दूर करने का उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

वहीं भारत से भेजी गई सब्जियों व राशन की खेप कोलंबो पहुंच गई है। भारत अबतक 2.70 लाख टन तेल की आपूर्ति श्रीलंका को कर चुका है। उसने श्रीलंका को एक अरब डालर का कर्ज देने का भी एलान किया है। श्रीलंका में महंगाई का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक किलो चावल की कीमत 200-240 रुपये पहुंच चुकी है। हालांकि, सरकार ने किफायती दर पर चावल बिक्री शुरू की है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।

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