अवनि लेखरा: साहस, संकल्प, संघर्ष और स्वर्ण की कहानी

अवनि लेखरा पैरालंपिक में दो गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं।

Update: 2024-08-30 11:48 GMT

पेरिस पैरालंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में भारत को स्‍वर्ण पदक दिलाने वाली भारतीय निशानेबाज अवनि के बारे में आज हर कोई बात कर रहा है। लेकिन इस सफलता के पीछे अवनि के साहस, संकल्प और संकल्‍प की कहानी कोई नहीं जानता।

आइए विस्‍तार से जानते हैं कौन हैं अवनि लेखरा जो पैरालंपिक में दो गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं।

कौन हैं अवनि लेखरा


अवनि लेखरा, जयपुर, राजस्थान की रहने वाली, भारत की सबसे सफल पैरालंपियन में से एक हैं। उनका जीवन एक ऐसी प्रेरक कहानी है जो साहस, संकल्प और उत्कृष्टता की अटूट मिशाल को दर्शाता है।

2012 में एक सड़क दुर्घटना के कारण व्हीलचेयर पर आने के बाद, अवनि ने हार नहीं मानी, बल्कि अपने पिता के प्रोत्साहन से खेलों को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया।

अवनि ने तीरंदाजी में अपने सफर की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उन्होंने निशानेबाजी को अपने करियर के रूप में चुना।

2015 में शुरू की निशानेबाजी

2015 में उन्होंने प्रतिस्पर्धी निशानेबाजी में कदम रखा और उनकी अदम्य भावना, अनुशासन और सटीकता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शीघ्र ही सफलता दिलाई। उनके आदर्श, अभिनव बिंद्रा की उपलब्धियों से प्रेरित होकर, अवनि ने जूनियर और सीनियर स्तरों पर विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए पैरा शूटिंग में अपनी पहचान बनाई।

अवनि की खेल उपलब्धियों का शिखर 2021 के टोक्यो पैरालंपिक खेलों में आया, जब उन्होंने भारत के लिए स्वर्ण और कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। वह एक ही पैरालंपिक स्पर्धा में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरालिंपियन बनीं।

उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया, जिसमें पद्म श्री और खेल रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में, अवनि ने 10 मीटर एयर राइफल महिला SH1 फाइनल में स्वर्ण पदक जीतकर अपने स्वर्ण पदक को बरकरार रखा, जिससे उन्होंने एक बार फिर से देश को गौरवान्वित किया। इसी प्रतियोगिता में उनकी हमवतन मोना अग्रवाल ने भी कांस्य पदक जीता।

खेलों में अपनी सफलता के साथ-साथ अवनि शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में पाँच वर्षीय लॉ डिग्री प्रोग्राम में दाखिला लिया है और अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए भी समान रूप से प्रतिबद्ध हैं।

अवनि लेखरा की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है जो यह दिखाती है कि जीवन में कोई भी चुनौती, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो, अटूट संकल्प और दृढ़ संकल्प से जीती जा सकती है। उनकी यात्रा लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है और उनकी उपलब्धियाँ देश के लिए गर्व का विषय हैं। 

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