Engineers Day 2024: कौन थे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया? जिनके जन्मदिन को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है

भारत में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर के दिन अभियंता दिवस यानी इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

Update: 2024-09-15 05:52 GMT

भारत में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर के दिन अभियंता दिवस यानी इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया में आज यानी रविवार के दिन #EngineersDay ट्रेंड कर रहा है। इंजीनियर्स डे एम विश्वेश्वरय्या के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। एम विश्वेश्वरय्या को सर की उपाधि भी दी गई थी। उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। विश्वेश्वरय्या को फादर ऑफ इंजीनियरिंग भी कहा जाता है।

एम विश्वेश्वरय्या का प्रारंभिक जीवन

एम विश्वेश्वरय्या का जन्म 15 सितंबर साल 1861 को कर्नाटक में हुआ था। जब वो 12 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया। उनके पिता संस्कृत के जानकार थे। विश्वेश्वरय्या की प्रारंभिक शिक्षा चिकबल्लापुर में हुई उसके बाद वो 1881 में बीए की डिग्री बैंगलोर से की। उसके बाद उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। विश्वेश्वरय्या ने बॉम्बे में पीडब्ल्यूडी से साथ काम किया और उसके बाद भारतीय सिंचाई आयोग के साथ काम करने लगे।

एम विश्वेश्वरय्या ने क्या - क्या काम किए?

एम विश्वेश्वरय्या ने भारत के लिए एक नहीं बल्कि अनेको बड़े काम किए। कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फ़ैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ़ मैसूर जैसे संस्थान उन्हीं के कोशिशों के नतीजे हैं। खासतौर दक्षिण भारत में उन्होंने एक से बढ़कर एक काम किए। कर्नाटक का भगीरथ भी कहा जाता था। आज ज्यादातर बांध में पानी के बहाव को रोकने के लिए जो स्टील के दरवाजे लगाए जाते हैं उन्हीं की देन है।

रेल हादसे वाला किस्सा

एम विश्वेश्वरय्या मैसूर के 19वें दिवान थे जिनका कार्यकाल 1912 से 1918 के बीच रहा था। उन्हें 1955 में भारत रत्न के साथ - साथ जॉर्ज पंचम ने ब्रिटिश इंडियन एम्पायर के नाइट कमांडर के सम्मान से भी नवाज़ा था। उनसे जुड़ा हुआ एक रेल हादसे का किस्सा बेहद प्रसिध्द है। कहा जाता है कि एक बार वो रेल में सवार होकर कहीं जा रहे थे। उनकी वेश भूषा बिल्कूल सादी थी जिसे देखकर वहां बाकी बैठे अंग्रेजों ने उन्हें अनपढ़ गवार समझ लिया और खूब मजाक बनाया। कुछ देर बाद अचानक उस सांवले रंग और मंझले कद के आदमी ने जंजीर खींचकर ट्रेन रोक दी। जब गार्ड ने पूछा तो बताया कि मुझे आभास हो रहा है कि कुछ दूर में पटरी उखड़ी हुई है। पहले तो सभी ने एम विश्वेश्वरय्या को खूब बुरा भला कहा लेकिन जब गार्ड लेकर पहुंचा तो सब देखकर दंग रह गए। सच में रेल की पटरी का जोड़ खुला था उसके सब नट बोल्ट उखड़े पड़े थे।

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