PM मोदी ने SC, ST वर्ग के सांसदों को दिया आश्वासन - सरकार लागू नहीं करेगी कोटे पर कोटा

सुप्रीम कोर्ट के हाल के एक फैसले के दौरान की गयी टिप्पणी को लेकर SC/ST समाज में भ्रम की स्थिति व्याप्त थी।

Update: 2024-08-09 07:45 GMT

PM मोदी ने SC, ST वर्ग के सांसदों को दिया आश्वासन - सरकार लागू नहीं करेगी कोटे पर कोटा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को SC, ST वर्ग के सांसदों ने मुलाकात की। पीएम मोदी ने सरकार की ओर से सभी को आवश्वासन दिया कि, NDA सरकार कोटे पर कोटे का सिस्टम लागू नहीं करेगी। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फैसला दिया गया था। जिसके बाद कोटे के अंदर कोटा देने का रास्ता साफ हो गया था। इसे लेकर एससी - एसटी वर्ग में भ्रम की स्थिति है।

बीजेपी सांसद भोला सिंह ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के हाल के एक फैसले के दौरान की गयी टिप्पणी को लेकर SC/ST समाज में भ्रम की स्थिति व्याप्त थी। इसे लेकर सांसदों ने पीएम से मुलाकात की थी।

संसद भवन परिसर में BJP के SC/ST सांसद आज, शुक्रवार को पीएम मोदी से मिले। सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के SC/ST के फैसले को लेकर ज्ञापन भी दिया। कोटे में कोटा मामले पर PM मोदी आश्वासन ने दिया है कि, ऐसी कोई व्यवस्था सरकार लागू नहीं करेगी और SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर भी लागू नहीं होगा।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला :

देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की 6 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए एससी एसटी आरक्षण के अंदर रिजर्वेशन को मंजूरी दे दी थी। यानी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में जो पिछड़े हुए हैं उनके लिए इसी कोटे के अंदर अलग से कोटा बनाया जा सकेगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने माना कि आरक्षण के अंदर आरक्षण देना असमानता के खिलाफ बिल्कुल नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही 2004 के अपने फैसले को पलट दिया था। बता दें कि, साल 2004 में जस्टिस ईवी चिन्नैया की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने फैसला दिया था कि एससी/एसटी आरक्षण के तहत अलग से कोटा नहीं बनाया जा सकता।

सर्वोच्च न्यायालय ने 6- 1 से इस फैसले पर मंजूरी जताई थी साथ ही कहा था कि हम मानते हैं कि इस वर्ग में कुछ ऐसे भी समुदाय हैं जिन्होंने सदियों से औरों से अधिक प्रताड़ना सही। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इस फैसले पर अपनी सहमति जताई जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी असहमत रहीं।

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