रतन टाटा का अधूरा सपना: क्या पूरा होगा रतन टाटा का नैनो ईवी का सपना? कोविड ने डाली थी रुकावट
स्वदेश डेस्क। रतन टाटा ने अपने औद्योगिक साम्राज्य में टेटली चाय से लेकर जगुआर लैंड रोवर और एयर इंडिया को जोड़कर अपने लगभग सभी सपने पूरे किए। हालांकि टाटा नैनो का इलेक्ट्रिक संस्करण लाने का उनका सपना अधूरा ही रहा। टाटा ने कोयंबटूर की कंपनी जयम ऑटोमोटिव्स (जयम ऑटो) को इस कॉन्सेप्ट कार पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी थी और लगभग 400 कार उतारे जाने के बावजूद कोविड-19 और नए क्रैश नियमों के चलते इसे सड़क पर उतारने का सपना पूरा नहीं हो सका।
ओला के संस्थापक भवीश अग्रवाल (Ola founder Bhavish Aggarwal) टाटा को अपना हीरो मानते हैं। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर टाटा की इस ड्रीम परियोजना (Ratan Tata Dream Project) को याद किया। टाटा इस परियोजना को लेकर इतने उत्साहित थे कि वह खुद ही अग्रवाल को कोयंबटूर ले गए थे ताकि उन्हें अपनी इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना की एक झलक दिखा सकें और उन्होंने टेस्ट ट्रैक पर कार भी ड्राइव की। बाद में इससे ही प्रेरित होकर अग्रवाल ने ओला इलेक्ट्रिक की शुरुआत की।
अग्रवाल ने उन्हें याद करते हुए लिखा, ‘वर्ष 2017 में एक दिन मुझे उनका फोन आया और उन्होंने मुझे मुंबई आने के लिए कहा। उन्होंने कहा, भवीश मैं तुम्हें कहीं ले जाना चाहता हूं और कुछ रोमांचित करने वाली चीज दिखाना चाहता हूं। हम टाटा नैनो से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बनाने की उनकी निजी परियोजना देखने उनके विमान से ही कोयंबटूर गए। वह इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर बेहद भावुक और उत्साहित थे। वह मुझे एक टेस्ट ड्राइव पर भी लेकर गए और इंजीनियरों को इसमें व्यापक स्तर पर सुधार करने की ताकीद भी दी। यही वह दिन था जिस दिन मूल रूप से ओला इलेक्ट्रिक की शुरुआत हुई।’
कैसी परियोजना?
वर्ष 2015 में टाटा ने कम लागत वाली ईवी बनाने के बारे में सोचा, जिससे नियो ईवी की शुरुआत हुई। इस पर जयम और टाटा समूह ने संयुक्त रूप से काम किया। जयम नियो ईवी (या कुछ लोग इसे इलेक्ट्रिक टाटा नैनो भी कहते हैं) को संयुक्त रूप से कोयंबत्तूर की इंजीनियरिंग एवं प्रोडक्शन कंपनी जयम और टाटा ने तैयार किया था जिस पर सेवामुक्त चेयरमैन रतन टाटा निजी तौर पर नजर रख रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस गाड़ी के दो संस्करण लाने की योजना थी जिसमें से एक 48 वोल्ट वाला संस्करण और दूसरा 72 वोल्ट वाला ताकतवर संस्करण शामिल था। इस परियोजना ने वर्ष 2018 में रफ्तार पकड़ी जब जयम ने 400 कारें तैयार की और इसकी आपूर्ति ओला कैब को कर दी।
इन कारों का इस्तेमाल महामारी के दौर की शुरुआत में हैदराबाद और बेंगलूरु में किया गया था। जयम ऑटो के प्रबंध निदेशक जे आनंद ने कहा, ‘मैं ईवी परियोजना के बारे में बात नहीं करना चाहता। हमें एक ऐसी परियोजना पर चर्चा क्यों करनी चाहिए जो कई सरकारी नियमन के कारण सफल नहीं हो पाई? कोविड-19 और नए क्रैश नियमन से परियोजना का विस्तार प्रभावित हुआ। हालांकि हमारे रिश्ते अब भी समूह के साथ अच्छे हैं।’
ऑटोकार इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि नियो ईवी को कई कारकों की वजह से कभी भी बिक्री के लिए पेश नहीं किया गया जिनमें से एक वजह यह भी थी कि इंजीनियर 72 वोल्ट वाले संस्करण की लागत कम करने की कोशिश में जुटे थे।
महामारी के अलावा क्रैश परीक्षण के सख्त नियमों ने भी इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डालने में योगदान दिया। फिलहाल जयम ऑटो, आनंद की कंपनी और चेन्नई की कंपनी मुरुगप्पा समूह प्रवर्तित ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स ऑफ इंडिया (टीआईआई) के बीच समान भागीदारी वाला संयुक्त उद्यम है। अपनी सहायक कंपनी टीआई क्लीन मोबिलिटी के जरिये टीआईआई ने पिछले साल जयम ऑटो में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की।
फिलहाल जयम ऑटो, इलेक्ट्रिक वाहनों में पूरी विशेषज्ञता के साथ वाहनों के कलपुर्जे, इसकी प्रणाली और प्रोटोटाइप के डिजाइन, परीक्षण और निर्माण से जुड़ा हुआ है। आनंद ने कहा कि उसकी इस परियोजना पर फिर से नए सिरे से काम करने की कोई योजना नहीं है। रतन टाटा के निधन के बाद हम केवल उम्मीद ही कर सकते हैं कि उनकी कम लागत वाली ईवी का सपना एक दिन साकार हो जिसकी बेहतर बॉडी और एयरबैग हो और जो नई सुरक्षा आवश्यकताओं को भी पूरा करे।