सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई फटकार, कहा - उनका नाम बताओ जिन्होंने आदेश नहीं माना
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेशों का पालन न करने पर नाराजगी जताई है।
उत्तरप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए योगी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेशों का पालन न करने पर नाराजगी जताई है। अदालत का कहना है कि, यूपी सरकार आचार संहिता का हवाला देते हुए छूट याचिका पर डिसीजन दे रही है जबकि अदालत के आदेश के अनुसार छूट याचिका पर निर्णय आचार संहिता प्रभावित नहीं होता। अदालत ने सीएम कार्यालय के उन अधिकारियों का नाम भी पूछा है जिन्होंने आदेश का पालन नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते UP के प्रिजन डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव को कोर्ट के आदेशों का पालन न करने पर 12 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का आदेश दिया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस ओका और एजी मसीह की बेंच द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि, UP सरकार अदालत के हर आदेश की अवहेलना कैसे कर सकती है।
दलअसल, सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई की याचिका पर विचार कर रहा था। इसी दौरान कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि, जब समय से पहले रिहाई का आदेश दिया जाता है तो उस पर विचार क्यों नहीं करते।
अदालत के सवालों का जवाब देते हुए यूपी सरकार का पक्ष रख रहे वकील राजेश सिंह ने कहा कि, सभी फ़ाइल सक्षम अधिकारी के पास हैं। इस पर कार्रवाई की जाएगी। 5 जुलाई को मंत्री को फाइल भेजी गई थी जबकि सीएम को 11 जुलाई और राज्यपाल को 6 अगस्त को फ़ाइल भेजी गई थी।
यूपी सरकार के जवाब पर अदालत ने कहा कि, अगर देरी होगी तो बंदी को मुआवजा कौन देगा? इसके जवाब में यूपी सरकार के वकील ने कहा कि, 16 अप्रैल को प्रस्ताव मिला था तब तक मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया था। अदालत ने फिर कहा कि, छूट आदेश में एमसीसी आड़े नहीं आता ऐसा बताया जा चुका है।
अदालत आदेश देते हुए कहा कि, यूपी सरकार के पास कैदियों की रिहाई में देरी करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। इसलिए यह आदेश दिया जाता है कि, 14 अगस्त तक निज सचिव बताएं कि, किन अधिकारियों ने फाइल लेने से मना कर दिया था।