सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अवमानना आदेश पर लगाई रोक, कहा - केंद्र दिल्ली को दे 700 टन ऑक्सीजन

Update: 2021-05-05 11:41 GMT

नईदिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि देश में अभूतपूर्व स्थिति है। केंद्र और उसके अधिकारियों पर अवमानना की कार्यवाही करने से समस्या का हल नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि केंद्र के अधिकारी और दिल्ली के मुख्य सचिव आज शाम बैठक कर उस योजना पर चर्चा करें जो कल कोर्ट में रखी जाएगी।

कोर्ट ने कहा कि कल सभी वकील कोर्ट को उन विशेषज्ञों के नाम भी सुझाएं जिनकी कमेटी को दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई में मौजूद कमी पर अध्ययन करने का जिम्मा सौंप सकें। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम किसी के खिलाफ यहां नहीं पहुंचे हैं। केंद्र और दिल्ली अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 700 मीट्रिक टन का आदेश हुआ था, 585 मीट्रिक टन पहुंचा है। तब जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि यह सप्लाई किस अवधि के लिए होती है। तब मेहता ने कहा कि 24 घंटे के लिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपने सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट में सही तरीके से क्यों नहीं रखा। उन्होंने कहा कि किसी अधिकारी को अवमानना के लिये जेल में डालना कोई हल नहीं। इससे ऑक्सीजन नहीं आने लग जाएगा। यह मिलकर काम करने का समय है।

केंद्र के पास पर्याप्त ऑक्सीजन -  

जस्टिस शाह ने तुषार मेहता से कहा कि आप अपनी योजना बताइए। हमें यह भी देखना होगा कि दूसरे राज्यों के साथ नाइंसाफी न हो। तब मेहता ने कहा कि शुरू में बहुत समस्या थी। अब हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है। सवाल उसके वितरण का है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम समझते हैं कि अलग-अलग राज्य में या एक ही राज्य के अलग हिस्से में बीमारी की स्थिति में अंतर हो सकता है। इसलिए किस तरह का बेड कितना है, बस उससे ऑक्सीजन की सही मांग नहीं जानी जा सकती।

दिल्ली में ट्रक, टैंकर से सप्लाई -

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इसे बाद में देखेंगे। फिलहाल इसकी बात करें कि दिल्ली की स्थिति वाकई बहुत खराब है। आप बताइए कि 2 मई की रात हमारा आदेश आने के बाद से आपने क्या-क्या किया। तब मेहता ने कहा कि 3 मई को 443 मीट्रिक टन, 4 मई 585 मीट्रिक टन, आज यानी 5 मई का पूरा आंकड़ा अभी नहीं है। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि नागरिक परेशान हैं। शहर में ट्रेन, टैंकर से कितनी सप्लाई आ रही है, इसकी जानकारी लोगों और अस्पतालों को मिले। उन्होंने कहा कि हम विशेषज्ञ पैनल बनाने का विचार रखते हैं, जो ऑक्सीजन वितरण बेहतर बनाने में सहायक हो। हमें इससे कोई खुशी नहीं मिलती कि अधिकारियों को फटकार लगाएं।

बॉम्बे हाईकोर्ट से सीख लें - 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम बॉम्बे हाईकोर्ट के उदाहरण से सीखना चाहेंगे। वहां बेहतर काम हुआ। 10 मई को सुनवाई में जानना चाहेंगे कि ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के लिए क्या किया गया। तब मेहता ने कहा कि निश्चित रूप से मुंबई में बेहतर काम हुआ। हमने अनुरोध किया है वह विस्तृत जानकारी दें। दूसरे राज्यों को बताएंगे। कोर्ट ने कहा कि हमें शाम तक बताइए कि दिल्ली में सप्लाई कैसे बढ़ेगी। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि आज के दोपहर तक आंकड़ा आ गया है। 351 मीट्रिक टन दोपहर तक दिल्ली पहुंचा है। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि यह आधी रात से आधी रात गिना जाता है। तब कोर्ट ने कहा कि कोशिश की जाए तो आज ही आधी रात तक 700 मीट्रिक टन पहुंच जाएगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा कि कृपया रिलैक्स कीजिए। अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई का हमारा कोई इरादा नहीं। हमें पता है कि अधिकारी दिन-रात काम कर रहे हैं। नोडल एजेंसी की अधिकारी ने खुद कोरोना पॉजिटिव होते हुए भी कोर्ट को विस्तृत जानकारी दी थी। अधिकारियों को दंड देने से कोई मदद नहीं मिलेगी।

ऑक्सीजन की कमी -

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कृष्ण वेणुगोपाल ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से ज़्यादा लोग इस बात से मर रहे हैं कि अस्पताल उन्हें भर्ती नहीं कर रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि हमें जानकारी है। फिलहाल हम ऑक्सीजन सप्लाई पर मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेट्री पीयूष गोयल को सुनना चाहते हैं। तब गोयल ने कहा कि टैंकर मुख्य समस्या है। जमशेदपुर में ऑक्सीजन है पर लाया नहीं जा पा रहा। ओडिशा से ट्रेन से आ रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि जब तक सप्लाई बेहतर नहीं हो जाती, दिल्ली के लिए 150 मीट्रिक टन विदेश से आयात किया जा सकता है।

दिल्ली को मिले 700 टन ऑक्सीजन -

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि मेरा सुझाव है कि कुछ निष्पक्ष विशेषज्ञ की एक कमिटी बना दी जाए। इसमें केंद्र और दिल्ली के कुछ अधिकारी भी हों। यह कमेटी देखे कि ऑक्सीजन की सप्लाई में कहां दिक्कत आ रही है। किन-किन बातों को तुरंत सुधारने की ज़रूरत है। यह कमेटी 10 मई को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट दे। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तीन बातों पर विचार करना है। ऑक्सीजन प्रति बेड फॉर्मूला वैज्ञानिक नहीं है। उसका बेहतर तरीका क्या हो। दिल्ली में ऑक्सीजन आने के बाद वितरण कैसे बेहतर हो और ऑक्सीजन की सप्लाई कैसे बढ़े। जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा कि आप प्रयास करें कि रोज़ 700 मीट्रिक टन दिल्ली को मिल सके। जस्टिस शाह ने कहा कि दूसरे राज्यों का भी ख्याल रखा जाए।

अवमानना से समस्या का हल नहीं -

कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस बात पर गौर किया कि जब मुंबई में 92 हजार केस थे, तब भी मांग 275 मीट्रिक टन थी। मेहता ने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन की स्थिति पर निष्पक्ष अध्ययन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हमें बताया गया है कि दुबई से आयातित 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन गुजरात के मुंद्रा पहुंचा। उसे दिल्ली लाया गया। ट्रेन से भी ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। कोर्ट ने कहा कि अवमानना से समस्या का हल नहीं होगा। देश में अभूतपूर्व स्थिति है।विगत 4 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि उसके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। 

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