ग्वालियर : जिंदगी से जंग जीतने दिन-रात जुटा प्रशासन, प्रतिदिन खर्च किए 12 लाख
आने-जाने, रहने-खाने, जांच व उपचार सहित अन्य तरह की सुविधा उपलब्ध करा रहा प्रशासन
ग्वालियर। चीनी वायरस कोविड-19 ने देश एवं दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इससे निपटने के लिए देश की सरकारें व प्रशासनिक अमला अपनी जान पर खेलकर दिन-रात एक कर रहा है। लोगों की जिंदगी से जंग जीतने के लिए सरकार व प्रशासन ने अपना खजाना खोल दिया है। आमजन को इस महामारी से बचाने के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, नगर निगम, जिला प्रशासन सहित अन्य विभाग प्रतिदिन करीब 12 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। ताकि यह अदृश्य महामारी विकराल रूप न ले सकें और लोगों की जिंदगी बचाई जा सके। यह सिलसिला पहले लॉकडाउन के बाद से ही शुरू हुआ है, जो अनवरत जारी है। पिछले पचास दिन में सभी कुछ मिलाकर करीब छह करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति जो घर से निकलने में असमर्थ है, उसके घर तक दवा और भोजन पहुंचाने के साथ ही प्रवासी मजदूरों को भी उनके घर तक पहुंचाने और खाने-पीने के प्रबंध किए गए हैं। अभी तक 20 हजार लोगों को क्वारेंटाइन किया जा चुका है। जबकि 64 हजार प्रवासी मजदूरों व लोगों को बसों से घरों तक पहुंचाने का काम हुआ है। जिसमें से कुछ यात्री टे्रनों के माध्यम से भी ग्वालियर आए हैं। चिकित्सा सुविधाओं की भी लोगों के लिए झड़ी लगा दी गई। मास्क, सेनेटाइजर, पीपीई किट सहित अन्य जांच में करोड़ रुपए खर्च किए गए। होटल, गार्डन, महाविद्यालयों को अपने कब्जे में लेकर वहां क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया, जहां पर लोगों की जांच-पड़ताव व स्क्रीनिंग की जा रही है। यदि कोई संदिग्ध है तो उनके नमूने लेकर
20 हजार लोग किए जा चुके हैं क्वारेंटाइन
-कोरोना संदिग्धों को रखने के लिए महानगर में 20 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। जिनमें से जयारोग्य अस्पताल, जैन छात्रावास, होटल इंद्रलोक, होटल रेडिएंट, होटल प्रभा इंटरनेशल, होटल सत्कार, होटल सीता मैनोर, होटल आदित्याज, श्रीराम कृष्ण महाविद्यालय, केयर एंड क्योर महाविद्यालय, सर्वधर्म महाविद्यालय, मालवा महाविद्यालय, वीआईएसएम महाविद्यालय, आईटीएम विश्वविद्यालय, विनायक होटल एवं अन्य पांच केन्द्र शामिल।
-इन केन्द्रों पर करीब 20 हजार लोगों को रुकवाया गया और उन्हें नाश्ता-खाना आदि की व्यवस्था की।
-दोनों पहर के भोजन में प्रति व्यक्ति करीब 120 रुपए का खर्च आया। यानि अभी तक करीब 25 लाख रुपए खाने पर खर्च हुए।
-इसके अलावा बिजली-पानी व स्टाफ पर भी करीब 20 लाख रुपए खर्च।
-कुल खर्च- 45 लाख रुपए
64 हजार मजदूरों को घरों तक पहुंचाया
-मजदूरों को घरों तक पहुंचाने के लिए 1327 बसों का हुआ उपयोग
-बसों से 58 हजार रुपए मजदूरों को पहुंचाया
-रेल मार्ग से आए 8 हजार मजदूरों को भी भिजवाया, उनके भोजन-पानी आदि की व्यवस्था की गई। करीब पांच लाख का खर्चा आया।
-इसमें करीब 50 लाख रुपए का खर्च हुआ
-कुल खर्च- करीब 55 लाख रुपए
चिकित्सा सामग्री पर खर्च
-करीब 40 हजार मास्क का उपयोग(प्रति मास्क 15 रुपए)- कुल खर्च- 6 लाख
-4000 लेबल-1 पीपीई किट का उपयोग(900 रुपए प्रति किट)- 36 लाख
-500 लेबल-2 पीपीई किट(3000 रुपए प्रति किट)- 1.50 लाख
-500 लेबल-3 पीपीई किट(4500 रुपए प्रति किट)- 22.50 लाख
-चार हजार लीटर सेनेटाइजर(300 रुपए प्रति लीटर)- 12 लाख
-4000 एन-95 मास्क का उपयोग(115 रुपए प्रति मास्क)- 4.60 लाख
-15 मई तक 7502 कोरोना के नमूनों की जांच(प्रति जांच 4000 रुपए खर्च)- 3 करोड़ 8 हजार
-नर्सिंग स्टाफ द्वारा लगातार गली-मोहल्लों पर जाकर जांच की जा रही है, इस पर भी लाखों रुपए खर्च किए गए
कुल खर्च- 3 करोड़ 82 लाख रुपए
इस तरह मुस्तैद है पुलिस
-महानगर में प्रतिदिन पुलिस अधिकारी सहित 2000 का स्टाफ चौबीस घंटे तैनात
-सभी के नाश्ता व खाने पर प्रतिदिन करीब एक लाख रुपए खर्च। अभी तक 50 लाख खर्च
-महानगर की सीमाओं पर करीब एक दर्जन चेकिंग प्वाइंट
-सभी थानों के अलावा आधा सैकड़ा वाहन किराए पर लिए। करीब 50 हजार रुपए प्रतिदिन हो रहे खर्च। अभी तक 25 लाख का हुआ खर्चा
-ढाई हजार लीटर सेनेटाइजर का उपयोग, जिस पर करीब 7.50 लाख रुपए हुए खर्च
-कुल खर्च- 82.50 लाख रुपए
निगम भी जुटा, 80 हजार लीटर सेनेटाइजर का उपयोग
-कोटा से नि:शुल्क आए सेनेटाइजर से शहर को किया सेनेटाइज
-12 हजार सेनेटाइजर मंगवाया(प्रति नग 36 रुपए)-4.32 लाख रुपए
-16 हजार मास्क वितरित किए(प्रति मास्क 11 रुपए)- 1.76 लाख रुपए
-मैकेनाइज्ड मशीनों द्वारा रोड स्वीपिंग का कार्य निरंतर किया जा रहा है, जिसमें दो रोड स्वीपिंग मशीनों द्वारा लगभग 60 किलोमीटर क्षेत्र में प्रतिदिन रोड सफाई की जा रही है, जिस पर करीब 20 लाख रुपए खर्च।
-कचरा संग्रहण के लिए 200 से अधिक वाहनों का कर रहे उपयोग
-शहर की सफाई व्यवस्था व डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए करीब 1800 कर्मचारी
-शहर को सेनेटाइज करने के लिए विभिन्न मशीनों पर 300 कर्मचारी
-शहर के 66 वार्डों में सुपर वाइजर तैनात
-हर गली मोहल्लों और सड़कों को सेनेटाइज करने के लिए फायर विभाग की गाडिय़ों का भी कर रहे उपयोग।
-कुल खर्च- करीब 33 लाख रुपए
कंट्रोल कमांण्ड सेंटर से पैनी नजर
-हॉट स्पॉट क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए
-चौबीस घंटे सेंटर से रखी जा रही है नजर
-कोई भी फोन करके दर्ज करा सकता है शिकायत
-चौबीस घंटे अधिकारियों की रहती है तैनाती
-अभी तक सभी मदों में कुल खर्च- करीब 5 करोड़ 97 लाख 50 हजार रुपए
इस तरह प्रशासन ने झोकी ताकत
-प्रशासनिक अधिकारियों सहित जिलेभर के राजस्व अधिकारी, पटवारी, नर्सिंग स्टॉफ सहित करीब पांच हजार का स्टाफ चौबीस घंटे लगा।
-जिलाधीश की निगरानी में पूरा कार्य चल रहा है। सभी विभागों की निगरानी प्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं। समय-समय पर छूट का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है।
आपदा के इस संकट में जिला प्रशासन द्वारा हर वह प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे इस बीमारी से जूझने वाले सभी विभागों और पीडि़तों को मदद की जा सके। इसके लिए शासकीय एवं अशासकीय संस्थाएं मदद कर रही हैं। इस पर कितना खर्च हुआ है, इसका आंकलन अभी नहीं किया है।
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह
जिलाधीश, ग्वालियर