Mahakumbh 2025: महाकुंभ में आस्था के बजाय रीलों की डुबकी, सनातन संस्कृति की अद्वितीय शक्ति पर सवाल - मनीषा शर्मा

Update: 2025-01-25 11:27 GMT

कुंभ आत्मा के शुद्धिकरण और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति का माध्यम है । कुंभ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है बल्कि यह भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है । कुंभ मेला ' वसुधैव कुटुंबकम' की उस अवधारणा को चरितार्थ करता है जिसमें संपूर्ण विश्व को स्वयं में समाहित करने की शक्ति है । देश - दुनिया से अनेक लोग अपने-अपने आस्था- विश्वास की डोर को हाथों में थाम कर, अपने रीति- रिवाज, संस्कार, आचार- व्यवहार को अपने साथ लेकर भारत भूमि पर आए हैं और यहां का दृश्य देख वे आश्चर्य और विस्मय से भर गए हैं ।

प्रोफेसर : मनीषा शर्मा

 

वे देख रहे हैं कि भारत की सनातन संस्कृति किस तरह से अपनी बांहे खोल उनका स्वागत कर रही है। वे देख रहे है यहां की सामाजिक समरसता को जहां लिंग, जाति, धर्म, पंथ, संप्रदाय,मत, अमीर-गरीब, पूरब - पश्चिम के भेद का कोई अर्थ नहीं है। यहां अनेक को एकाकार होते हुए देखा जा सकता है।तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ 2025 अपने पूर्ण उत्साह से चल रहा है । कुंभ हमारी सनातन संस्कृति की आस्था और आध्यात्मिकता की रीढ़ है । महाकुंभ में व्यक्ति यज्ञ, तप ध्यान और अनुष्ठान करता है ताकि आत्मा को शुद्ध कर खुद को पा सके।

परन्तु यह महाकुंभ विगत कुछ दिनों से तप,ध्यान ,अनुष्ठान को छोड़ विभिन्न विवादित विषयों के कारण चर्चा में लगातार बना हुआ है । यहां अनेक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर रील का बाजार लगाकर अपने चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट को चमकाने में लगे हुए है । ऐसे लोगों से संत समाज और आम लोग भी परेशान है। इस महाकुंभ में यूट्यूबर ने महात्माओं का जीना मुश्किल कर दिया है । ये कभी भी ,कहीं से भी चले आते हैं कुछ भी उटपटांग प्रश्न पूछने लगते हैं । उन प्रश्नों का सनातन से बहुत वास्ता नहीं होता।

मोनालिसा की वायरल रील ने बदल दी श्रद्धालुओं की श्रद्धा की दिशा

महाकुम्भ में बनी और वायरल हो गई रीले से विवाद उठा और लोग कहने लगे कि इन सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर ने यहां का वातावरण बिगाड़ दिया है। कुछ वायरल रीले जो यूट्यूबर द्वारा बनाई गई और सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में रही इसमें प्रमुख है नीली आंखों वाली लड़की मोनालिसा। यह लड़की अपनी सुंदर आंखों की वजह से कुंभ में वायरल हो गई। इस लड़की के साथ इसके पूरे परिवार की आंखें भी इसी रंग की है लेकिन इस माला बेचने वाली लड़की के पीछे यूट्यूबर इस कदर पड़ गए कि उसका व्यवसाय चौपट हो गया । यूट्यूबर की मेहरबानी से रातों रात वायरल इस लड़की के पीछे जबरन भीड़ पड़ गई और वह परेशान हो गई। घर वालों को उसे छुपाना पड़ा और खबर बता रही है कि वह कुंभ छोड़कर चली गई है। कितनी अजीब बात है कि संगम में अपने पापों को धोने गए श्रद्धालु धर्म,ध्यान की बजाय मोनालिसा को छूने, उसके साथ तस्वीर खिंचवाने, रील बनाने को बेताब हो गए।

वायरल बाबा और नकली साध्वी

आईआईटी बाबा के नाम से मशहूर दूसरे वायरल बाबा जो अपने वीडियो में माता-पिता को राक्षस बताते हैं उनका सनातन में क्या योगदान रहा है ? कितना समय उन्होंने धर्म अध्यात्म को दिया है? इसका किसी को कोई ज्ञान नहीं पर वह वायरल हो गए। एक अन्य उदाहरण हर्षा रिछारिया का है जो सुंदर साध्वी के नाम से वायरल हुई। छद्म वेश धारण कर ,नकली जटाएं लगाए वह लगातार रील बनाती रही। अपनी रील में वह कहती दिखी कि ग्लैमर की दुनिया को छोड़ वह यहां आई है ।लेकिन यहां आने के बाद भी उसने ग्लैमर को कहीं छोड़ा नहीं बल्कि मेकअप कर , नकली जटाएं लगा लगातार सुर्खियों में बनी रही। यहां प्रश्न यह है कि क्या सिर्फ त्रिपुंड लगाने से, भगवा पहनने से ही आप आध्यात्मिक हो जाते हो, साधु बन जाते हो । आध्यात्मिकता और सनातन के लिए आपने अपने जीवन में क्या किया। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है क्योंकि कुंभ जिस जप,तप के लिए है जीवन में अध्यात्म के समावेश के लिए है, जिस मनन चिंतन के लिए है उसका मूल उद्देश्य छोड़कर लोग सिर्फ रील बनाने में लगे हुए हैं।

मतलब जहां आध्यात्मिकता की,आंतरिक शांति की आवश्यकता है महा भी हम खुद को इस तरह लेकर जा रहे हैं तो फिर कुंभ का मतलब ही नहीं रह जाता है। यह सब देख बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को भी कहना पड़ा कि कुंभ रील के लिए नहीं है बल्कि रीयल लाइफ के लिए है । उन्होंने कहा कि जो चल रहा है उचित नहीं लग रहा है वहां जो चीज चल रही है हम उससे कहीं ना कहीं अपने मकसद से भटक रहे है। इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि सनातन कैसे बचेगा ,हिंदुत्व कैसे जागेगा, हिंदू राष्ट्र कैसे बनेगा।

यह सच है कि विगत दिनों कुंभ पर लगातार रीलो की बाढ़ सी आ गई है। हर कोई कुंभ पर रील बनाते हुए दिख रहा है।बाबा रील में भक्तों को मारते हुए दिख रहा है । पर क्यों यह नहीं बताते।ये सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर उनके पीछे लग जाते हैं और इस कदर कि साधु संत परेशान है ।

महंत रवींद्र पुरी का बयान: यूट्यूबर्स ने संतों का जीवन किया मुश्किल

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने युटयुबर्स को कहा है कि युटयुबर्स ने जीना मुश्किल कर दिया है संतों का। वे क्या करते हैं, क्या पहनते हैं ?कभी भी कैमरा ऑन करके उनके सामने रख दिया जाता है। उनका कहना है कि अगर आप दिखाना भी चाहते हैं तो उन संतों को दिखाइए जो परंपरा के संत है । उनको दिखाइए जो भजन करते हैं, जप - तप करते है और 20से 25 सालों से खड़े हैं कभी सिंहासन पर नहीं बैठे कभी भूमि पर नहीं बैठे।

अखाड़े से जुड़े संतों का कहना है कि युटयुबर्स को धर्म, आध्यात्मिकता ,जप तप की बात करनी चाहिए ना कि मोनालिसा और हर्षा या आईआईटी बाबा को दिखाना चाहिए । कुंभ में आध्यात्मिकता पर बात होंनी चाहिए। कुंभ आस्था का विषय है सनातन संस्कृति को बढ़ाने और समझने वाला है किसी को वायरल करने का नहीं ।

हर कोई व्यक्ति रील बनाने के लिए मोबाइल, कैमरा लिए घूम रहा है। कुंभ अध्यात्म और ज्ञान प्रवाह के लिए है लेकिन यहां पर ज्ञान, संस्कृति सभ्यता की चर्चा नहीं है केंद्र में है सुंदर साध्वी, नीली आंखों वाली लड़की ।यह सारी बातें सोचने को मजबूर कर रही है कि वास्तव में क्या कुंभ का यही मकसद था? कुंभ सनातन धर्म, संस्कृति के विभिन्न आयामो , पक्षों को जानने समझने का एक प्रयास है एक शुभ अवसर है।

आज भारत को छोड़ अनेक देशों में सनातन के अनुयायी है जो त्रिवेणी संगम पर आकर स्नान कर रहे हैं और जो नहीं आए हैं वह भी मीडिया के द्वारा इसे देख रहे हैं। लेकिन इस तरह के युटयुबर्स, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर द्वारा अपने फायदे के लिए, कुछ अज्ञानता वश हमारी संस्कृति का दुष्प्रचार हो रहा है। आज के समय में प्रचार तंत्र जरूरी है लेकिन यह भी ध्यान देना होगा कि प्रचार किन विषयों का हो। प्रचार हो सनातन ज्ञान का, प्रचार हो सनातन में रची बसी सामाजिक समरसता के भाव का।

आज संपूर्ण विश्व की निगाह हम पर है और यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम हमारी सनातन संस्कृति और देश की छवि पर किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव ना पड़ने दे। हम विश्व को सामाजिक समरसता का, जप तप,ध्यान, अध्यात्म का संदेश दे जो इस महाकुंभ का मूल उद्देश्य है।

प्रो. मनीषा शर्मा

लेखिका और शिक्षाविद

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय,अमरकंटक

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