Places Of Worship Law: प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट से संबंधित नई याचिकाएं दायर किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

Update: 2025-02-17 06:32 GMT

Supreme Court

Places Of Worship Law : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित एक मामले में कई नई याचिकाएं दायर किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम में किसी स्थान के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 को मौजूद रहने के अनुसार बनाए रखने का आदेश दिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यह भी संकेत दिया कि वह तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पहले सुनी गई लंबित अनुसूचित याचिकाओं पर दिन के दौरान सुनवाई नहीं कर सकती है, क्योंकि यह दो न्यायाधीशों की संयुक्त पीठ में बैठी है।

जब एक वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दिन के दौरान सुनवाई के लिए एक नई याचिका का उल्लेख किया, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं।"

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, मामले में दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सुनवाई को टाल दिया था। इस मामले में जहां एक ओर केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया है वहीं दूसरी ओर सुनवाई पूरी होने तक अदालत ने कोई भी नया मामला दायर करने पर भी रोक लगा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह में हलफनामा दाखिल करने को कहा था। यह एक्ट किसी पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने या 15 अगस्त, 1947 को प्रचलित स्वरूप से उसके चरित्र में बदलाव की मांग करने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक वह पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई और उनका निपटारा नहीं कर लेता, तब तक देश में कोई और मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने की थी। याचिकाकर्ताओं ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की मांग की गई थी।

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