हमने मदद दी, हमें मदद मिल रही है : हर्षवर्धन श्रृंगला
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि 'हम प्रत्यक्ष आपूर्ति और अन्य तरीकों से चिकित्सा आपूर्ति की खरीदी कर रहे हैं।'
नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर झेल रहे भारत की मदद के लिए कई देश सामने आए हैं। इस संबंध में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 'हमने मदद दी, हमें मदद मिल रही है। इस वक्त जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं।' विदेश सचिव ने कहा कि '40 से अधिक देशों हमें ने मदद की पेशकश की है, जिसमें विकसित देश समेत हमारे पड़ोसी देश मॉरीशस, बांग्लादेश और भूटान भी शामिल हैं।'
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि 'सरकार ऑक्सीजन जनरेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, क्रायोजेनिक टैंकर के साथ-साथ तरल ऑक्सीजन की खरीद को प्राथमिकता दे रही है।' उन्होंने बताया कि 'अमेरिका से बड़ी मात्रा में चिकित्सा आपूर्ति करने वाले दो विशेष विमानों के भारत पहुंचने की उम्मीद है और अगले कुछ दिनों में एक अन्य विमान के आने की भी संभावना है। विदेश सचिव ने 700 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के साथ आयरलैंड से आने वाली एक उड़ान का भी उल्लेख किया। शनिवार को फ्रांस से मेडिकल सप्लाई की एक फ्लाइट आने वाली है।
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि 'हम प्रत्यक्ष आपूर्ति और अन्य तरीकों से चिकित्सा आपूर्ति की खरीदी कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि 'हम सामान्यतया एक दिन में रेमडेसिविर की 67,000 डोज का उत्पादन करते हैं लेकिन आज इसकी जरूरत एक दिन में 2-3 लाख डोज के करीब है। हम मिस्र से 4,00,000 यूनिट रेमडेसिविर दवा खरीद रहे हैं।' विदेश सचिव ने श्रृंगला ने कहा कि 'हमारे ड्रग निर्माताओं ने अपने काम की गति बढ़ा दी है और ये निर्माता 67,000 से 3 लाख यहां तक कि एक दिन में 4 लाख डोज का उत्पादन करने को तैयार हैं। उन्हें इसके लिए कच्चा माल चाहिए। हमें गिलियाड साइंसेज और अमेरिका से इसके लिए सहयोग का आश्वासन दिया गया है।'
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि 'हम सरकारों, निजी क्षेत्रों, संघों, वाणिज्य मंडलों के साथ काम कर रहे हैं।' उन्होंने कहा 'कोरोना महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला करने के लिए हम अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।' विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि 'वसुधैव कुटुम्बकम की भावना पर आधारित भारतीय भारतीय संस्कृति के लिए पूरा विश्व एक परिवार है। भारत इस समर्थन और एकजुटता के लिए वैश्विक समाज का आभारी है।'