अकाल मृत्यु से बचने करें रूप चौदस का पूजन

रूप चौदस का त्यौहार छह नवम्बर को मनेगा

Update: 2018-10-30 06:21 GMT

ग्वालियर। कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला रूप चौदस पर्व नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली, नरक निवारण चतुर्दशी या काली चौदस के रूप में भी जाना जाता है। दिवाली के पांच दिनों के त्यौहार में यह धनतेरस के बाद आता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. एच.सी. जैन के अनुसार इस दिन अकाल मृत्यु से बचने और रूप निखारने के लिए रूप चौदस की पूजा विधि विधान के अनुसार करना चाहिए।

घर में होता है लक्ष्मी का वास

ज्योतिषाचार्य डॉ. जैन के अनुसार इस दिन शाम के समय सभी देवताओं के पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं। इसी के साथ घर में सुख शांति भी बनी रहती है।

बेकार सामान फेंक देना चाहिए

इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि के समय) में घर के बेकार सामान को फेंक देना चाहिए। मान्यता है कि चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली को लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती हैं, इसलिए दरिद्रता यानि गंदगी को घर से निकाल देना चाहिए।

रूप चौदस का महत्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. जैन के अनुसार रूप चौदस सौन्दर्य को निखारने का दिन है। भगवान की भक्ति व पूजा के साथ खुद के शरीर की देखभाल भी जरूरी होती है। ऐसे में रूप चौदस का यह दिन स्वास्थ्य के साथ सुंदरता और रूप की आवश्यकता का संदेश देता है। माना जाता है कि सूर्योदय के पहले चन्द्र दर्शन के समय में उबटन, सुगंधित तेल से स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के बाद स्नान करने वाले को नर्क समान यातना भोगना पड़ती है।

पूजन की विधि

नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले स्नान करने का महत्व है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करना चाहिए। इसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर तीन बार घुमाना चाहिए। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने पर मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है।

शुभ मुहूर्त

रूप चौदह का त्यौहार छह नवम्बर मंगलवार को है। इस दिन मुहूर्त के अनुसार अभ्यंग स्नान प्रात: 4.59 से 6.36 बजे तक है। इस मुहूर्त की अवधि 1 घण्टा 37 मिनट है। 

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