हरिद्वार। हिन्दू पंचाग के मुताबिक भाद्रपद मास में मनाए जाने वाला श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार 3 सितम्बर को मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है, जो रक्षाबंधन के आठ दिन बाद होती है। ज्योतिषाचार्य प. सतीश सोनी के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है।
सनातन धर्म को मानने वालों में इस पर्व की खास अहमियत है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की उपासना की दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है। रक्षाबंधन बीतने के साथ ही इसकी तैयांरियां तीर्थनगरी हरिद्वार में दिखने भी लगी हैं। शुक्ल ने बताया कि इन दिन वैष्णव लोग व्रत रखकर भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं। अष्टमी की मध्य रात्रि भगवान के जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं। बताया कि मान्यता है कि अष्टमी तिथि की रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में कंस की जेल में अवतरित हुए थे। उन्होंने बताया कि इस बार अष्टमी तिथि 2 सितंबर को शाम 08 बजकर 47 मिनट से आरम्भ हो जाएगी। जो 3 सितम्बर को शाम 07 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। बताया कि इस बार भी जनमाष्टमी पर्व को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। किन्तु 3 सितम्बर को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाना श्रेयस्कर होगा। कारण की 3 सितंबर को शाम 8 बजे तक रोहणी नक्षत्र रहेगा। जबकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्स 3 सितंबर की रात को ही मनाया जाएगा। क्योंकि 3 सितम्बर को उदया तिथि में अष्टमी होगी। 2 सितम्बर को उदय तिथि में अष्टमी तिथि न होने के कारण 3 सितम्बर को ही अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। बताया कि 3 सितम्बर रात्रि 8 बजे तक रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा। रोहिणी वह नक्षत्र है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होना माना जाता है। बताया कि जन्मोत्सव पर भगवान को पूजन करने के लिए 3 सितम्बर रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 44 मिनट तक पूजन करना श्रेयस्कर होगा।