नई दिल्ली। कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या नाग शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में परिलक्षित होता है। व्यावहारिक रूप से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे संतान संबंधी कष्टशादी मैं विलंब होता है। या तो उसे संतान होती ही नहीं, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। धनाढय घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है। तरह तरह के रोग भी उसे परेशान किये रहते हैं।
सावन के महीने में ही नाग पंचमी का पावन पर्व आता है और यह पर्व बहुत से लोगों के लिए ख़ास होता है. ऐसे में घर के आंगन में गोबर के नागपूजन का विधान है और चंदन, लकड़ी, चांदी आदि के सर्प भी पूजे जा सकते हैं. इसी के साथ इस दिन संयम से रहें, व्रत करें और ब्राह्मण को भोजन करवाएं. वहीं अगर घर में किसी की सर्प के काटने से मृत्यु हुई हो तो कहा जाता है कि उसकी सद्गति नहीं होती इस कारण सर्प पूजन करने से उसे मुक्ति मिल जाती है. इस बार नाग पंचमी 5 अगस्त को है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी पूजा के मंत्र.
उनके मंत्र निम्नलिखित हैं-
* श्रावण माह- ॐ अनंतर्पिणी नम:.
* भाद्रपद माह- ॐ वासुकी नम:.
* क्वार माह- ॐ शेषाय नम:.
* कार्तिक माह- ॐ पद्माय नम:.
* अगहन माह- ॐ कम्बलाय नम:.
* पौष माह- ॐ अश्वतराय नम:.
* माघ माह- ॐ कर्कोटकाय नम:.
* फाल्गुन माह- ॐ घृतराष्ट्राय नम:.
* चैत्र माह- ॐ शंखपालाय नम:.
* वैशाख माह- ॐ तक्षकाय नम:.
* ज्येष्ठ माह- ॐ पिंगलाय नम:.
* आषाढ़ माह- ॐ कालिदाय नम:.
इनके साथ नाग गायत्री का जप करें.
मंत्र- ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्.