नई दिल्ली। किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके गुरु का होता है। जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले उसे सीखना पड़ता है और सिखाने वाला व्यक्ति ही गुरु होता है। गुरु किसी भी रूप में हो सकता है। वह आपके माता-पिता या कोई संबंधी भी हो सकते हैं। हिन्दू धर्म में गुरु को सर्वोपरी माना गया है। इसी वजह से गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना का प्रावधान रखा गया है। इस बार गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को है। शाम 4:30 बजे से सूतक लग जाएगा। उससे पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा कर लें।
सामान्यत: गुरु का महत्व अध्यात्म में सर्वोपरि माना गया है। गुरु अपने शिष्य को हर परिस्थिति के लिए तैयार करता है। सभी धर्मों में गुरु को अलग-अलग तरह से महत्व मिला है। वो लोग बहुत ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें गुरु से दीक्षा मिलती है। वहीं जो लोग गुरु नहीं बना पाते हैं वो साधना का सहारा लेते हैं। आइये जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कैसे करें पूजन...
सर्वप्रथम एक साफ स्थान पर श्वेत वस्त्र को बिछाकर उस चावल रखें। चावल के ऊपर कलश और उसके ऊपर नारियल रखें।
इसके पश्चात उत्तराभिमुख होकर अपने सामने गुरु का या भगवना शिव की तस्वीर रखें। भोलेनाथ को भी गुरु मान सकते हैं।
महादेव को गुरु मानकर मंत्र पढ़ते हुए श्रीगुरुदेव का आवाहन करें।
मंत्र - 'ॐ वेदादि गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।।'
हे गुरुदेव! मैं आपका आह्वान करता हूं। अहम बात यह है कि 16 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का अवसर है। इसके साथ ही इसी रात्रि को चंद्र ग्रहण लगेगा। परन्तु ग्रहण के दौरान भी मंत्रों का जप किया जा सकता है। इसका विशेष लाभ प्राप्त होगा।