करवाचौथ : इन कार्यों से बचे सुहागिनें, वरना नहीं मिलेगा व्रत का फल
करवा चौथ पूजन का मुहूर्त 5 बजकर 35 मिनट से 7 बजे तक
नई दिल्ली//स्वदेश वेब डेस्क। करवा चौथ हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल उपवास रखकर रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलेंगी। हिन्दू धर्मानुसार पति की लंबी आयु और अच्छे सौभाग्य के लिए विवाहित स्त्रियां इस व्रत को रखती है।
करवा चौथ मुहूर्त वह सटीक समय होता है जिसके भीतर ही पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के मुताबिक 27 अक्टूबर को करवा चौथ पूजा के लिए पूरी अवधि 1 घंटे और 18 मिनट है। करवा चौथ पूजा का समय शाम 5 बजकर 36 मिनट पर शुरू होकर शाम 6 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय शाम 8 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस दिन महिलाएं चन्द्रमा के निकलने का बेसब्री से इंतजार करती हैं क्योंकि महिलाएं करवा चौथ पर निर्जल उपवास रखकर चन्द्रमा के निकलने पर अर्घ्य देकर ही उपवास को खोलती हैं।
करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जल व्रत रहकर पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। अपने सुहाग के लिए समर्पित इन दिन अगर सुहागिनें कुछ बातों का खास ख्याल न रखें तो उन्हें पूजा और व्रत का फल नहीं मिलता।
जीवन साथी के लंबे साथ की मनोकामना के साथ शुरू होने वाले करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जल व्रत धारण कर रात्रि में चांद के दीदार के बाद ही अर्घ्य देकर व्रत को खोलती हैं। इस तप के दौरान अगर महिलाए कुछ चूक कर दें तो उनकी मेहनत बेकार हो जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार मान्यता है कि इस दिन सुहागिनों को सफेद और काले रंग के कपड़ों से दूरी बनाई रखनी चाहिए। महिला को लाल रंग के वस्त्रों को धारण कर श्रृंगार करना चाहिए। इस दिन में कैंची का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं माना जाता। बाल काटने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा किसी की बुराई करने से भी व्रत और पूजा का फल नहीं मिलता है। घर में किसी का अपमान करना, बच्चों को डाट-फटकार लगाना और बूढ़ों का तिरस्कार करना वर्जित बताया गया है। करवाचौथ के दिन महिलाओं को दूध, दही और सफेद रंग के कपड़ों को दान करने से बचना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे चंद्रमा कुपित हो जाते हैं। दान के लिए लाल रंग की चीजें ही देनी चाहिए और सुहाग से संबंधित चीजें दान करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन सुहागिनें अगर श्रृंगार से जुड़ा सामान कुड़े में फेंकती हैं तो पूजा-पाठ का उल्टा ही फल मिलता है।