ईशा सदगुरु योग केंद्र में एक योगिक अस्पताल है, तो अमेरिका से कुछ डॉक्टर इसे देखना चाहते थे और वे यहां आए। वे एक हफ्ते यहां थे और एक हफ्ते के बाद वे मुझसे बहुत नाराज़ थे। मैंने कहा – "क्यों, मैंने क्या किया? वे चारों तरफ यही बातें कर रहे थे – "ये सब फ़ालतू बकवास है! सद्गुरु ने कहा यहां एक योगिक अस्पताल! कहां है योगिक अस्पताल? हमें कोई बिस्तर नहीं दिख रहे हैं, हमें कुछ नहीं दिख रहा"। फिर मुझे समझ आया कि उनकी समस्या क्या है, फिर मैंने उन्हें बुलाया और मैंने कहा – "परेशानी क्या है" उनमें से एक महिला, जिनकी आँखों में आंसू थे, बोलीं – मैं यहां इतने विश्वास के साथ आई और यहां धोखा हो रहा है, यहां कोई अस्पताल नहीं है, बिल्कुल भी कुछ नहीं यहां और आप बोल रहे हैं कि यहां अस्पताल है। मैंने कहा – "आराम से बैठिये। आपके अस्पताल के बारे में ये विचार हैं कि – बहुत से बिस्तर हों जहां मरीजों को सुला दो और उन्हें दवाइयां देते रहो – ये अस्पताल ऐसा नहीं है। मैं आपको आस-पास घुमाता हूँ – सभी मरीज़ यहां बगीचे में काम कर रहे हैं, और रसोई घर में काम कर रहे हैं। हम उनसे काम करवाते हैं, और वे ठीक हो जाते हैं।
तो, सबसे महत्वपूर्ण चीज़ ये है कि अगर कोई बीमार हो तो हम उनसे बगीचे में काम करवाते हैं। उन्हें खाली हाथों धरती के संपर्क में कम से कम आधे घंटे से लेकर 45 मिनट तक जरुर होना होता है। ऐसा करने से वे स्वस्थ हो जाते हैं। क्योकि आप जिस चीज़ को शरीर कहते हैं वो बस इस धरती का एक टुकडा है, है न? हां या ना? वे सभी अनगिनत लोग जो इस धरती पर चले, वे सब कहां गए? सब धरती की उपरी सतह पर हैं, है न? ये शरीर भी धरती की सतह पर चला जाएगा – जब तक कि आपके दोस्त - इस डर से कि आप फिर से न जाग जाएं - आपको बहुत गहरा न दफना दें। तो, यह बस धरती का एक टुकड़ा है। तो यह अपने सर्वोत्तम रूप में तब रहेगा, जब आप धरती से थोडा संपर्क बनाकर रखें। फिलहाल आप हर वक़्त सूट और बूट पहन कर पचासवें फ्लोर पर चलते रहते हैं, और कभी भी धरती के संपर्क में नहीं आते। ऐसे में आपका शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार होना स्वाभाविक है। फिर मैंने उन्हें दिखाया – "देखो इस व्यक्ति को दिल का रोग है, उस व्यक्ति को वो बीमारी है। मैंने सभी मरीजों से उनका परिचय कराया और फिर मरीज़ अपनी बातें बताने लगे – "तीन हफ्ते पहले हम ऐसे थे, और अब हमें बहुत अच्छा लग रहा है, हम अपनी बीमारी ही भूल गए हैं।" और अब सभी मेडिकल मापदंड भी कह रहे हैं कि वे ठीक हैं। अमेरिकी डॉक्टर को यह विश्वास दिलाने में कि ये लोग सच में मरीज़ हैं हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी। हम उन्हें अच्छे काम में भी लगा रहे हैं।
सोर्स : isha.sadhguru.org