मनुष्य परमात्मा की अद्भुत रचना है । मनुष्य जीवन अनमोल है। हर योनियों में श्रेष्ठ है मानव योनी। कितने शुभ कर्मों के उदय से व्यक्ति इस मानव शरीर को पाता है। इसे बेपरवाह व नासमझी से व्यतीत करना मूर्खता की निशानी है। मानव मस्तिष्क ईश्वर की ही देन है। इसका सही उपयोग व विकास करना हमारा कर्तव्य है। आज हमने इसे अनावश्यक नकारात्मक विचारों से भर दिया है। बालक हो या वृद्ध हर कोई अनावश्यक नकारात्मक विचारों से अपने आप को घिरा हुआ पाता है। मस्तिष्क का शोधन कर इसमें ज्ञान रूपी फसल को बोने से व्यक्ति के जीवन में विकास आता है।
ज्ञान की प्राप्ति तो हर व्यक्ति करना चाहता है किंतु जब तक पात्र शुद्ध व स्वच्छ ना हो उस में डलने वाला हर कण व्यर्थ हो जाता है। सर्वप्रथम उच्च ज्ञान के लिए हमें स्वयं का शोधन करना आवश्यक है। ज्योतिष अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह शुद्ध होते हैं उसे अपने जीवन में उच्च ज्ञान की प्राप्ति होती है। वहीं इसके विपरीत दूषित गुरु ग्रह व्यक्ति को अपयश, अहंकार व अशांति प्रदान करते हैं। ऐसे व्यक्ति को प्राय: समाज में सम्मान नहीं मिलता। वह दिशाहीन रह कर अनआकर्षक जीवन जीता है। वह व्यक्ति झगड़ालू स्वभाव का होता है। जिसके चलते उसे और उसके परिवार को पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
लक्ष्मण ज्योतिष अनुसार जिस व्यक्ति को प्राय: अपच की शिकायत रहती है, कान में दर्द लाइलाज खांसी या वायु विकार होना दूषित ग्रह का सूचक है। ऐसा व्यक्ति अपनी आंतरिक पीड़ा को छिपाने हेतु बड़बोला होता है। निर्दयता, हुकूमत व अनावश्यक प्रभुत्व दिखाना उसके अवगुण हैं।
गुरु ग्रह की शुद्धि हेतु जातक को माथे पर केसर का तिलक लगाना चाहिए। पूजा स्थल में केले का पेड़ लगाने से गुरु ग्रह का शोधन होता है। हल्दी की गांठ साथ रखने से उचित लाभ होता है। पीले वस्त्र व फल पुजारी को भेंट करने से गुरु ग्रह शुद्ध होते हैं। मंदिर स्थल में धार्मिक पुस्तकों का दान करने से भी ज्ञान की वृद्धि होती है। सोने में जड़े पुखराज धारण करने से व्यक्ति में विवेक व ज्ञान की वृद्धि होती है। यश प्राप्ति हेतु व्यक्ति को चने और गुड़ का दान बृहस्पतिवार को अवश्य करना चाहिए। भगवान विष्णु (जो कि जगत के पालनहार हैं) उन्हें गेंदे का इत्र चढ़ाने व हरसिंगार का पुष्प अर्पण करने से व्यक्ति के अहंकार का शमन होकर सम्मान की प्राप्ति होती है।
इन उपायों से लीवर रोग से पीडि़त व्यक्तियों को भी उचित लाभ मिलता है। उदर रोगों से मुक्ति मिलती है। ज्ञान के नए रास्ते खुलते हैं और व्यक्ति के जीवन में पूर्णता आती है। वह एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक बनता है। यह उपाय कुशल ज्योतिष की निगरानी में कुंडली अध्ययन के पश्चात ही करने से उचित फल की प्राप्ति होती है।
इन उपायों के साथ साथ अगर व्यक्ति व्यवहारिकता में भी बदलाव लाए तो चमत्कारिक लाभ होता है। अपने गुरुजनों व शिक्षकों का आदर करें। गुरु की सच्ची सेवा है उनके बताए हुए मार्ग पर चलना। गुरु आशीष व्यक्ति में ऐसी आभा उत्पन्न करता है जो कि हर उपायों से उच्च हैं।
-दीप्ति जैन आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ