इस वर्ष के राजा होंगे बुध, नवरात्रि में मां दुर्गा करेंगी नौका की सवारी

डॉ मृत्युञ्जय तिवारी

Update: 2023-03-16 13:34 GMT

वेबडेस्क। जब मातारानी नौका पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं तो यह उनके भक्तों के लिए अत्यन्त शुभ संकेत देने वाला होता है । श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार भारतीय वैदिक धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के इस समय में 9 दिनों के लिए मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना का महत्व है। घरों में मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है और घट स्थापना की जाती है । नवरात्रि के इस पर्व के समय 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना भी की जाती है ।

वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि का आरंभ होता है । इस बार नवरात्रि का त्योहार 22 मार्च, बुधवार से शुरू होगा और इसका समापन 30 मार्च को होगा । चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च दिन बुधवार से हो रही है। ऐसे में इस साल मां दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है जब भी बुधवार से नवरा​त्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गा पृथ्वी पर नौका पर सवार होकर आती हैं । ठीक इसी प्रकार देवी का प्रस्थान 30 मार्च 2023 को गुरुवार के दिन डोली में होगा। देवी भागवत में वर्णन है कि दिन के अनुसार, मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय समेत अपने परिवार के साथ पृथ्वी लोक पर पधारती हैं । पृथ्वी लोक मातारानी का मायका है । वे यहां पर पूरी नवरात्रि रहती हैं और फिर दिन के अनुसार, अपनी सवारी पर विराजमान होकर प्रस्थान कर जाती हैं।

कैसे तय होती है मां दुर्गा की सवारी क्या है फल

नौका पर आगमन विशेष शुभ कहा गया है, क्योंकी नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् के अनुसार नौका में माता जी विराजमान होकर आती हैं तो उस नवरात्रि अनुष्ठान जाप की सिद्धि तत्काल एवं कई गुना वृद्धि कारक होती है। डोली में बैठकर माता जी का प्रस्थान करना सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला होता है । डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि नवरा​त्रि के समय में दिन अनुसार मां दुर्गा के आगमन की सवारी क्या होती है , इसके बारे में श्लोक है

शशि सूर्य गजारुढा शनि भौमै तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥

इस श्लोक के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से आरंभ हो तो माता हाथी पर विराजमान होकर आती हैं। यदि वह दिन शनिवार या मंगलवार हो तो माता की सवारी घोड़ा होता है और शुक्रवार या गुरुवार हो तो माता रानी डोली में आती हैं। बुधवार के दिन से यदि नवरात्रि शुरू हो रहे हों तो माता का आगमन नौका से होता है। इसी प्रकार प्रस्थान का भी विचार किया गया है ।

Tags:    

Similar News