नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के 12 पूर्ण सदस्यों के सीईओ और तीन संबद्ध सदस्यों के सीईओ ने पिछले सप्ताह मुख्य कार्यकारी समिति की बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर आगे की रोडमैप पर चर्चा होनी थी, लेकिन बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे जय शाह ने अपने विचारों से सबको प्रभावित किया। बैठक की जानकारी रखने वाले एक कार्यकारी ने आईएएनएस से कहा कि आईसीसी की मुख्य कार्यकारी समिति की बैठक में शाह ना केवल अपने भाषण को लेकर स्पष्ट थे, बल्कि उन्होंने वहां सार्थक योगदान भी दिया, जो पिछले प्रतिनिधि से अलग और स्वागत योग्य है। कार्यकारी ने कहा कि इस महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए इस समय आईसीसी को एक ऐसे ही नेतृत्व की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि इस मुश्किल समय में बीसीसीआई क्या देख रहा है, इसे देखते हुए उन्होंने शानदार काम किया। एक अन्य कार्यकारी ने बताया कि कैसे अन्य सदस्यों को यह बताना था कि हम यहां मदद करने के लिए हैं और संकोच करने के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक स्पष्ट संदेश था कि बीसीसीआई एक दोस्त है, जो सभी की मदद करने के लिए तैयार है और यह ठीक वैसा ही जिसे इस समय आईसीसी की जरूरत है। इसके लिए बीसीसीआई और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) को साथ आने और मदद करने की जरूरत है। आपको यह समझना होगा कि इस समय सदस्य संघों को आर्थिक संकट से उबरने में मदद के लिए भारतीय और इंग्लैंड की टीमों की जरूरत है और इसके लिए आपको बीसीसीआई की ओर से मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है।
सदस्य बोर्ड इस बात से काफी सहमत हैं कि क्रिकेट की दुनिया को इस समय इंडियन प्रीमियर लीग की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है। एक कार्यकारी ने कहा कि देखिए, इस समय आपके पास दर्शकों के बिना कोई टेस्ट मैच नहीं है, क्योंकि इससे आपको राजस्व की प्राप्ति नहीं होगी। लेकिन आईपीएल से ना केवल बीसीसीआई को राजस्व मिलेगा, बल्कि इस लीग से अन्य बोर्डों को फायदा होगा क्योंकि इससे उनके खिलाड़ियों के वेतन में से 10 फीसदी फीस मिलेगी। मौजूदा हालात में यह बहुत जरूरी है और आप इसे नकार नहीं सकते।
बैठक में बीसीसीआई सचिव द्वारा अपनी भूमिका को लेकर बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि भारतीय बोर्ड ने हमेशा आईसीसी और उसके सदस्यों के हितों का ध्यान रखा है। उन्होंने कहा कि यह हमेशा देखने को मिला है कि बीसीसीआई नेतृत्व करने और आईसीसी तथा उसके सदस्य बोर्डों के लिए अधिक राजस्व के लिए तैयार रहता है। यह एक स्वागत योग्य बदलाव है, क्योंकि पिछले तीन वर्षों के दौरान जो प्रतिनिधित्व कर रहे थे, वे महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे पा रहे थे। एक बीसीसीआई अधिकारी के रूप में यह जानकर खुशी होती है कि हम पिछले तीन वर्षों में हम एक बार फिर से आईसीसी में ध्यान का पात्र बन गए हैं, जिसे एक बार फिर से गंभीरता से लिया जा रहा है।