सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट: मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग के 27 परसेंट आरक्षण पर फिर ब्रेक…

Update: 2025-02-07 14:45 GMT

जबलपुर। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशतकरने की राह में फिर रुकावट आ गई है. सुप्रीम कोटज़् ने आरक्षण से जुड़े 22 मामलों में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सुनवाई से रोक दिया है। अब इन मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी।

बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से 75 मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किए गए हैं, इनमें से 22 मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्शन भी कर दिया है। कुल मिलाकर जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हरी झंडी नहीं देता, तब तक मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

एमपी हाई कोर्ट ने याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर की

बता दें कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत कर दिया था। इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कमलनाथ सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।

इसी से जुड़ी लगभग 75 याचिकाएं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रही थी लेकिन इस बीच में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इन याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई पर लगाई रोक

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के मामले की सुनवाई हुई। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 9 याचिकाओ पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को डायरेक्शन दिया है कि वह इस मामले की सुनवाई न करें।

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 13 याचिकाओं के मामले में भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी। अब कुल मिलाकर 22 याचिकाएं ऐसी हो गई हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट सुनेगा, इस मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

पिछले दिनों हाई कोर्ट के फैसले से राह हुई थी आसान

दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते दिनों 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के संगठनों के माध्यम से यह बात जाहिर की गई थी कि मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब तक इन 75 याचिकाओं का फैसला नहीं हो जाता, तब तक 27 प्रतिशत आरक्षण को पूरी तरह लागू हुआ नहीं माना जा सकता। इन 75 याचिकाओं में मध्य प्रदेश सरकार की 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गई है। इनमें से कुछ याचिकाओं में सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है।

इसलिए फिलहाल यह स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाला 27 प्रतिशत आरक्षण अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। पिछला वर्ग की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था, इसलिए राज्य सरकार ने याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करवा लिया है। 

हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट का आदेश

45 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच अंक पाने वालों को सेकंड डिवीजऩ माना जाए

मध्य प्रदेश में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है, हाईकोर्ट ने भर्ती के लिए सेकंड डिवीजऩ क्राईटेरिया पर आदेश सुनते हुए कहा कि पात्रता परीक्षा में 45 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच अंक पाने वालों को सेकंड डिवीजऩ माना जाए।

आपको बता दें इससे पहले सेकंड डिवीजऩ को लेकर अलग अलग यूनिवर्सिटी के अलग अलग क्राईटेरिया से विरोधाभास की स्थिति बन गई थी, स्कूल शिक्षा विभाग ने जहां 45 फीसदी अंक वालों को सेकंड डिवीजन मानकर सिलेक्ट कर लिया था वहीं 49 फीसदी वालों को थर्ड डिवीजन मानकर रिजेक्ट भी कर दिया था।

रिजेक्ट होने वाले कई उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने माना कि पात्रता के लिए डिवीजन की बजाय अंकों का पैमाना होना चाहिए लिहाजा कोर्ट ने सेकंड डिवीजन के अंक 45 से 60 फीसदी के बीच मानने के निर्देश दिए हैं।

इसी के साथ कोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अंकों में 5 फीसदी की छूट ना देने पर राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग से जवाब भी मांगा है। हाई कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख तय कर दी है।

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