नवजोत सिद्धू की बढ़ सकती है मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने रोडरेज केस में फैसला रखा सुरक्षित

Update: 2022-03-25 13:29 GMT

नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू की सज़ा बढ़ाने से जुड़ी अर्ज़ी पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों से एक हफ्ते में लिखित दलीलें जमा कराने का निर्देश दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने को केवल एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी थी। मारपीट में जिस बुज़ुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हुई थी, उनके परिवार ने सजा पर दोबारा विचार की मांग की है।

गुरनाम सिंह के परिजनों ने नई अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मारपीट की बजाय ज़्यादा संगीन धाराओं के तहत मामला बनता है। 12 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की मांग करने वाली पीड़ित पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर नवजोत सिंह सिद्धू को नोटिस जारी किया था। 15 मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया था लेकिन धारा 323 का दोषी पाया था और उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने सह अभियुक्त रुपिंदर सिंह संधू को भी बरी कर दिया था।

1988 का है मामला - 

मामला 1988 में पटियाला में हुई मारपीट की एक घटना का है। ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया था, जबकि हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू दोनों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए 3 साल की सज़ा मुकर्रर की थी। सिद्धू के वकील ने ये दावा किया था कि 1988 में गुरनाम की मौत की वजह सिद्धू का घूंसा नहीं, बल्कि दिल का दौरा था। निचली अदालत ने सिद्धू को बरी कर दिया था लेकिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा दी थी ।

 गवाहों के बयान विरोधाभासी 

सिद्धू की तरफ से कहा गया था कि इस मामले में कोई भी गवाह खुद से सामने नहीं आया। जिन भी गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, उनको पुलिस सामने लाई थी। गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं। सिद्धू के वकील ने चश्मदीद गवाह की सच्चाई पर सवाल उठाए। गुरनाम के भतीजे ने कहा था कि पुलिस ने उनकी कार को तुरंत कब्ज़े में लिया था परन्तु जांच अधिकारी इससे मना कर चुके हैं।

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