हरदोई में 'कर्मवीर' कवायद: भैनगांव में एक ही कैम्पस में प्राइमरी और जूनियर स्कूल मामले पर पड़ी 'योगी दृष्टि', डीएम ने सीडीओ को सौंपी जांच...
5 कालिदास मार्ग पहुंचाया दर्द : भाजपा जिला उपाध्यक्ष कर्मवीर चौहान के गोद लिए हैं स्कूल, मुख्यमंत्री से मिल बताई थी बीएसए की हेकड़ी, जांच अधिकारी ने तलब की सूचनाएं, 5 नवम्बर को जाएंगी मुआयना करने भैनगांव...
बृजेश कबीर, हरदोई। कोथावां विकास खंड के नामी भैनगांव प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय एक ही परिसर में निर्माण मामले की जांच जिलाधीश मंगला प्रसाद सिंह ने मुख्य विकास अधिकारी सौम्या गुरुरानी को सौंपी है। जिला मजिस्ट्रेट ने जांच आख्या जल्दी प्रेषित करने का निर्देश दिया है। गुरुरानी ने जांच जल्द करने की बात कही है। जांच अधिकारी ने अधिशासी अभियंता (प्रांतीय खंड) और अधिशासी अभियंता (निर्माण खण्ड प्रथम), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक और उप जिलाधीश संडीला के नामित नायब तहसीलदार से प्रकरण से जुड़ी सूचनाएं मांगी हैं।
मुख्य विकास अधिकारी सौम्या गुरूरानी ने बताया, जिला मजिस्ट्रेट एमपी सिंह ने विकासखंड कोथावां के भैनगांव में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय एक ही परिसर में बनाये जाने के प्रकरण का जांच अधिकारी नामित किया है। कहा है, 05 नवम्बर को 10 बजे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय भैनगांव की जांच निरीक्षण के बाद की जाएगी। प्रकरण से जुड़ी सूचनाएं संबंधित अधिकारियों से मांगी हैं।
'विजय' ने दिखाया 'प्रताप'...कर्मवीर पहुंच गए 'सीएम की शरण'
भैनगांव के प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों का किस्सा दरअसल भावनाओं को ’समझने’ की कहानी है। गांव भाजपा के जिला उपाध्यक्ष और हरदोई बार के पूर्व महामंत्री कर्मवीर सिंह का पैतृक है। इन्हीं विद्यालयों से पढ़ कर कर्मवीर ने पार्टी और अधिवक्ता संघ में पद और कद हासिल किया। साल 2017 में सूबे में योगी सरकार के गठन के बाद जनप्रतिनिधियों और भाजपा पदाधिकारियों को एक परिषदीय विद्यालय गोद लेने का फरमान हुआ था। पंडित दीनदयाल की जयंती 25 सितम्बर 17 को कर्मवीर ने प्राइमरी और जूनियर दोनों स्कूल गोद लिए। प्राइमरी आबादी में है और जूनियर गांव से पश्चिम 300 मीटर दूर खलिहान की जमीन पर। गांव से बाहर होने के कारण जूनियर स्कूल से प्रायः चोरी होती रहती है। उस वक्त बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी थे। कर्मवीर ने प्रयास कर दोनों स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम करवाया। विधायक रामपाल वर्मा की क्षेत्रीय विकास निधि से बाउंड्री वॉल के लिए 16 और एमएलसी अशोक अग्रवाल से 10 लाख रुपए दिलाए।
दोनों स्कूल एक कैम्पस में लाने की 'कर्मवीर' की कवायद शुरू
दोनों स्कूल एक कैम्पस में लाने की कर्मवीर ने कवायद शुरू की। चूंकि, प्राइमरी स्कूल की का रकबा कम था, तो तत्कालीन प्रधान शशि देवी से प्राइमरी के पास की भूमि जूनियर के लिए दिलवा दी। कुल रकबा हो गया साढ़े चार हजार वर्गमीटर। अब कर्मवीर ने दोनों स्कूल एक हद में लाने की कोशिश शुरू की। साल 23 में तत्कालीन बीएसए हेमंत राव के पीरियड में स्कूलों की नई बिल्डिंग आईं। कर्मवीर ने विधायक रामपाल वर्मा और जिला पंचायत अध्यक्ष प्रेमावती वर्मा से चिट्ठी लिखाई और राव ने मंजूरी दे दी। जर्जर विद्यालय भवन गिरा कर नया निर्माण होना था। उन्हें गिरा कर नया भवन निर्माण कार्यदायी पीडब्ल्यूडी ने शुरू करा दिया। लेकिन, इससे प्राइमरी का हेड मास्टर परेशान हो गया। वजह, प्राइमरी और जूनियर एक परिसर में होने पर दोनों का हेड मास्टर उच्च प्राथमिक वाला होता। हेड मास्टर का रुतबा जाता देख उसने शिकायत प्रशासन से कर दी। अब तक बीएसए की सीट पर विजय प्रताप सिंह आ चुके थे। उन्होंने नौनिहालों के हित दरकिनार कर निर्माण रुकवा दिया। यही नहीं प्राइमरी में निर्माणाधीन अतिरिक्त कक्ष को बुलडोजर से गिरवा आरोप कर्मवीर के मत्थे मढ़ने का प्रयास हुआ।
जिलाधीश के 'ठौर' बैठी पंचायत, नहीं दे पाए मंगला समाधान
जिलाधीश मंगला प्रसाद सिंह, बीएसए विजय प्रताप सिंह और कर्मवीर चौहान के मध्य आमने सामने इस मुद्दे पर चर्चा हुई। लेकिन, बीएसए के नकारात्मक रवैये से बातचीत किसी निर्णय पर नहीं पहुंची। जिला मजिस्ट्रेट ने कर्मवीर की ओर जूनियर के 03 पुराने कक्ष की क्षतिपूर्ति का प्रश्न उछाला। कर्मवीर ने उत्तर दिया, बाउंड्री के लिए 26 लाख रुपए दिला दिए तो ये भी कर देंगे। लेकिन सिस्टम की समझ में नहीं फंसी बात। कर्मवीर राजधानी पहुंच गए और प्रमुख सचिव (बेसिक शिक्षा) से भेंट कर राम कहानी सुनाई। फिर, छह अक्टूबर को एमएलसी अशोक अग्रवाल संग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और निजी भावनाओं संग सिस्टम से मिल रहे दंश की बात रखी। कर्मवीर के मुताबिक, भैनगांव मामले पर मुख्यमंत्री की दृष्टि पड़ने के बाद ही डीएम ने जांच अधिकारी नामित किया है। उम्मीद जताई जो जिले से मिल जाना था, वो 5 कालिदास मार्ग की कृपा से संभव होगा और गांव के बच्चे सुरक्षित और विकसित परिसर में शिक्षा लेंगे। शासन की अनुमति से एक परिसर में दो विद्यालय हो सकते हैं। बाकी नजीर तो एक गांव को स्वीकृत स्कूल दूसरे गांव में बना दिए जाने की बहुतेरी हैं। कुल मिला कर चर्चित विजय प्रताप सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि खबर ये भी आ रही है, शासन ने उनके विरुद्ध शिकायतों की फाइल पर दृष्टि डाली है।