आत्मनिर्भर और लोकल फॉर वोकल की बेहतरीन मिसाल हैं गोरखपुर की संगीता

अब दुकानदार भी उनके होम मेड हर्बल साबुन को अपनी दुकानों पर रखने लगे हैं। वह बताती हैं कि जो लोग एक बार साबुन इस्तेमाल कर रहे हैं।

Update: 2021-04-03 17:22 GMT

गोरखपुर:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप स्वावलंबन से आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह दिखाने में उत्तर प्रदेश पूरे देश में यूं ही नहीं अग्रपंक्ति में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को ग्रास रूट लेवल पर मिला बढ़ावा भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार के प्रोत्साहन से इस मिशन में स्वयंसेवी समूहों के रूप में जुड़ी महिलाएं बूंद-बूंद से सागर भरने की कहावत को हकीकत में बदल रही हैं। अब मिसाल के तौर पर गोरखपुर जनपद के सरदारनगर ब्लॉक में बाल बुजुर्ग गांव की संगीता को ही लीजिए। संगीता अपने घर पर ही बेहतरीन गुणवत्ता का हर्बल साबुन बनाकर आर्थिक तंगी का दाग धो रही हैं।

सरदारनगर ब्लॉक के गांव बाल बुजुर्ग की रहने वाली संगीता यादव पहले महज घरेलू कामकाजी महिला थीं। परिवार की आर्थिक मजबूती की चिंता उन्हें सताती थी। इस बीच उन्हें सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बारे में जानकारी हुई। उन्होंने मिशन से जुड़कर स्वावलंबी बनने की ठान ली और चंदा महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर हर्बल साबुन बनाने का कार्य घर पर ही शुरू कर दिया। उनके बनाए साबुन की गुणवत्ता के चलते बाजार भी मिलने लगा है। साबुन बनाने के लिए एलोवेरा, शहद, विटामिन ई, नारियल तेल, ग्लिसरीन आदि का मिश्रण वह खुद तैयार करती हैं। फिर इसे सांचे में भरकर साबुन तैयार किया जाता है। घर पर ही उनके बनाए साबुन में कोई भी हानिकारक केमिकल न होने से इसकी मांग अब जोर पकड़ने लगी है।

प्रति साबुन पांच रुपये का फायदा

संगीता बताती हैं कि प्रति साबुन लागत घटाकर पांच रुपये की बचत ही जाती है। हालांकि अभी कारोबार शुरुआती दौर में छोटे पैमाने पर है । एक दिन में चालीस-पचास साबुन बनाने की ही क्षमता है, लेकिन लोगों की उनके उत्पाद के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया से वह उत्पादन और बाजार का आकार बढ़ाने में जुटी हैं। उनका कहना है कि पहले जहां एक भी रुपये नहीं आते थे। इस काम में प्रारंभिक दौर में प्रतिदिन दो सौ रुपये प्रतिदिन का मुनाफा परिवार को संबल दे रहा है। शुरुआत में उन्हें घरों पर लोगों से संपर्क कर बेचना पड़ता। अब दुकानदार भी उनके होम मेड हर्बल साबुन को अपनी दुकानों पर रखने लगे हैं। वह बताती हैं कि जो लोग एक बार साबुन इस्तेमाल कर रहे हैं।उनके द्वारा दोबारा डिमांड की जा रही है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से जल्द ही वह अपने इस गृह उद्योग को विस्तारित करेंगी।

50 महिलाओं को दे चुकी हैं प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप आजीविका मिशन से जुड़े अधिकारी अधिक से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं। संगीता यादव के बनाए हर्बल साबुन की गुणवत्ता देखने के बाद अधिकारियों ने उनसे 50 महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिलाया है। संगीता का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। आजीविका मिशन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जरूरत इन योजनाओं व प्रोत्साहन का लाभ लेने की है।

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