मनरेगा में धांधली: 600 मीटर कच्ची सड़क, 600 प्लस लेबर से करा दिया कागजों में काम...

5 पर एफआईआर, प्रधान, सचिव, तकनीकी सहायक, 2 और धांधलेबाज

Update: 2024-08-27 12:25 GMT

हरदोई। गांव गिरांव में रोजगार देने की योजना मनरेगा को जनता के नुमाइंदों और विकास विभाग ने काली कमाई का जरिया बना दिया है। संडीला ब्लॉक की लोहरई ग्राम पंचायत में प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक ने छह सौ मीटर कच्ची सड़क में छह सौ से ऊपर फर्जी श्रमिकों से कागजों पर काम करवा लिया और उनके बैंक खाते में मजदूरी भी भेज दी गई। शिकायत पर जांच हुई तो आरोप की पुष्टि के बाद जिम्मेदारों पर मुकदमा लिखवा कर सरकारी धन की वसूली के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

लोहरई में बीते वित्तीय वर्ष में लूलामऊ मार्ग से झाबर ड्रेन तक चकमार्ग निर्माण में वित्तीय झोलझाल की शिकायत हुई थी। जिलाधीश मंगला प्रसाद सिंह के निर्देश पर जांच में मूल्यांकन पुस्तिका में दर्ज काम मौके पर नहीं मिला। जांच टीम ने 1,35,539 रुपये की हेराफेरी पाई। खंड विकास अधिकारी प्रतिमा शर्मा के अनुसार, वित्तीय अनियमितता में प्रधान रामकुमार, तकनीकी सहायक फिरोज शमी, ग्राम विकास अधिकारी सुशील कुमार पाल, अंकिता दीक्षित व ग्राम पंचायत अधिकारी सत्येंद्र वीर सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दुरुपयोग की गई सरकारी धनराशि की वसूली के नोटिस भी जारी किए गए हैं।

दुरुपयोग की गई 1,35,539 रुपये की वसूली प्रधान, सचिव एवं तकनीकी सहायक से की जाएगी। लूलामऊ मार्ग से झाबर ड्रेन तक चकमार्ग कार्य करवाए जाने के दौरान तीन सचिव ने मस्टररोल पर दस्तखत किए जाने से 15,060 रुपये प्रत्येक सचिव को वसूली नोटिस जारी किया गया है। प्रधान से 45,180 और तकनीकी सहायक से भी 45,180 रुपये की ही वसूली किए जाने के लिए नोटिस जारी किया गया है।

जरौली-शेरपुर में सड़कें टूट कर कीचड़ में बिला गईं

स्वच्छता का भी पुरसाहाल नहीं, कूड़ा वहां खा गए जंग


बिलग्राम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन पर खरबों रुपए खर्च हो रहा है। स्वच्छता अभियान पर पानी की तरह खर्च हो रहा है, ताकि गांव भी विकास की मुख्यधारा में आ सकें। बीमारी न फैले, जनता स्वस्थ रहे, प्रधानमंत्री की ये मंशा है।

जरौली-शेरपुर में स्वच्छ भारत मिशन धराशायी पड़ी हैं। गांव में सब जगह बरसात का पानी जमा है। गंदगी का अंबार है। गंदा पानी जमा होने से बीमारी फैलने की आशंका है। गांव की सड़कों पर बाइक सवार हो या पैदल लोग का गिरना आम है। गांव वाले बताते हैं, पानी निकास बनाने की बात करने पर उन्हें वोट न देने का उलाहना मिलता है और विकास की मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है। स्वच्छ भारत मिशन से गांव को कूड़ेदान ब्लॉक से उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन, कूड़ेदान खुद कूड़ा करकट हो गए हैं। रखरखाव के अभाव में कूड़ेदान गंदगी से भरे हैं और भीतर घास फूस उग चुकी है। गांव वालों का कहना है, कूड़ावाहन जानबूझ कर जर्जर बना दिए गए। 

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