अतिक्रमण उन्मूल: आचार संहिता में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष को दिया ’दंश’, अब पूर्व उपाध्यक्ष को ’चोट’

Update: 2024-09-01 15:29 GMT

हरदोई। सिटी में रविवार को डीएम बंगला चौराहा से पिहानी चुंगी तरफ अतिक्रमण ध्वस्त किया गया। लेकिन, चुंगी पहुंचते पहुंचते मूवमेंट के तरीके पर सवाल खड़े होते गए। मसलन नालों से पत्थरों को भी तुड़वाए जाने पर। भाजपा की पूर्व जिला उपाध्यक्ष अनुपमा सिंह की दुकान के सामने का शेड उतार लिया ठीक माना उन्होंने, लेकिन जब नाले को ढके पत्थर पर मशीन की चोट हुई तो बात बढ़ गई।

अनुपमा ने पड़ोस में रहने वाले भाजपा जिला मीडिया प्रभारी गांगेश पाठक से बात की और बात करने को कहा। गांगेश मौके पर पहुंचे और नगराधीश सुनील त्रिवेदी से बात का प्रयास किया। नगराधीश ठहरे नगराधीश, सीधे मुंह बात क्या करते, वाजिब आपत्ति तक नहीं सुनी गांगेश की। फिर, पाठक भी ताव खा गए और उंगली उठा दी तिवारी की तरफ, उंगली नीची करने को कहा गया तो प्रत्युत्तर वैसा आया।

अनुपमा सिंह 

हालांकि, प्रशासन के तेवर देख भाजपा जिला मीडिया प्रभारी यह कहते हुए हताश पलट गए, आप जैसे अधिकारी हमारी सरकार को पब्लिक में बदनाम किए हैं। अनुपमा बोलीं, शेड हटाया उससे पहले ही कह दिया था किराएदारों से, हटा लो या हटाने देना। लेकिन, पत्थरों को तुड़वाने का तुक नहीं था। समय भी मांगा कि अव्वल तो नियम विरुद्ध नहीं, फिर हम खुद से हटा लेंगे, पर नहीं। पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा, प्रशासन की नीति और नीयत पर भरोसा निचले पायदान पर पहुंच गया है, सही बात भी सुनने को कोई तैयार नहीं है। बोलीं, पार्टी फोरम पर मामले को रखेंगी। प्रशासन की किसी कार्यवाही पर जिलाध्यक्ष दूसरी बार असहज दिखे। मामले में उनकी प्रतिक्रिया मांगने पर बोले, प्रकरण क्या है, इसकी जानकारी कर रहे हैं। जब प्रकरण सिलसिलेवार उन्हें बताया गया तब बोले, गलत है ये, ऐसा नहीं होना चाहिए।h

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले डाल दिया ’पार्टी’ को सांसत में : लोकसभा चुनाव की अधिसूचना के बाद लागू आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत सियासी होर्डिंग, बैनर और बोर्ड आदि सार्वजनिक स्थानों से हटाने का अभियान नगराधीश सुनील त्रिवेदी की अगुवाई में चल रहा था। तारीख थी 16 मार्च और वक्त शाम का था। राजधानी मार्ग पर नाग कोठी के सामने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और जिला सहकारी बैंक बोर्ड के चेयरमैन रहे बाबू विद्या राम वर्मा के आवास के सामने लगे परिचय बोर्ड को नगराधीश उखाड़ ले गए थे। शोर मचा तो बाबू विद्याराम कच्छा बंडी में ही बाहर आ गए। मनुहार की, पर तिवारी खरी खोटी सुना और मुकदमा लिखवा देने की धमकी दे आगे बढ़ गए थे, इतना कि संजय गांधी मार्ग पर आवास विकास कॉलोनी में रहने वाले भाजपा सांसद और तत्कालीन प्रत्याशी जयप्रकाश का बोर्ड भी सिटी मजिस्ट्रेट ने नुचवा लिया था। इसके अगले दिन 17 मार्च को बाबू विद्या राम की पत्नी लता वर्मा का निधन हो गया था। भाजपा नेता ने इसे सदमे से हुई मौत बताते हुए सिटी मजिस्ट्रेट को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को हटा कर मुकदमा लिखने की मांग की थी। बाद में उनका बोर्ड आवास भिजवाया गया, पर बवाल इस हद तक बढ़ा था, भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में राजधानी मार्ग जाम कर दिया था। मूवमेंट में फ्रंट पर पूर्व सांसद अंशुल वर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष राम किशोर गुप्ता गुड्डू, राम बहादुर सिंह और राजीव रंजन मिश्रा थे। मांग तिवारी को हटाने और इन पर प्रताड़ना का केस रजिस्टर करने की थी। सांसद जयप्रकाश और जिला अध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन पहुंचे थे। प्रशासन हलकान था। अपर जिलाधीश प्रियंका सिंह ने समझदारी से मामला हैंडल किया था। आचार संहिता के हवाले चुनाव बाद एक्शन का कौल किया था। अब, प्रशासन और जिलाध्यक्ष बब्बन के सामने फिर असहज करने वाली परिस्थिति खड़ी है। 

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