संभल जामा मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर आगया स्टे, मुस्लिम पक्ष को उच्च न्यायालय जाने को कहा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ के सामने यह मामला रखा गया था। अदालत ने निचली अदालत के आदेश पर स्टे लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट में अपील करने के लिए कहा है।
याचिका में कहा गया है कि, जिला अदालत के समक्ष दायर एक मुकदमे के बाद सर्वेक्षण का आदेश "जल्दबाजी" में दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक मंदिर था।
सीजेआई ने कहा कि, हमें निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश पर कुछ आपत्तियां हैं... लेकिन क्या यह उच्च न्यायालय में अनुच्छेद 227 के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता... इसे लंबित रहने दें। हम शांति और सद्भाव चाहते हैं। आप प्रस्तुतियां दाखिल करें.. तब तक ट्रायल कोर्ट को कोई कार्रवाई नहीं करने दें।
एडवोकेट विष्णु जैन ने कहा कि, 'ट्रायल कोर्ट की अगली तारीख 8 जनवरी है।
इसके जवाब में सीजेआई ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि इस बीच कुछ हो।
वरिष्ठ एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने कहा कि, यह आदेश बहुत बड़ी सार्वजनिक गड़बड़ी पैदा कर सकता है।
सीजेआई ने जिला प्रशासन से कहा कि, शांति और सद्भाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हम इसे लंबित रखेंगे। हम नहीं चाहते कि कुछ हो। मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 देखें और देखें कि जिले को मध्यस्थता समितियां बनानी चाहिए...हमें पूरी तरह से तटस्थ रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि कुछ भी अप्रिय न हो।
सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, 'कुछ प्रतिवादी पेश हुए हैं। हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार किसी उचित मंच पर 19 नवंबर के आदेश को चुनौती देनी चाहिए। इस बीच शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहिए। एएसजी केएम नटराज ने इसका आश्वासन दिया यदि कोई अपील की जाती है, तो उसे दायर किए जाने के 3 कार्य दिवसों के भीतर सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। ट्रायल कोर्ट को 8 जनवरी को मामले की सुनवाई करनी है और हमें उम्मीद है और भरोसा है कि ट्रायल कोर्ट मामले को तब तक आगे नहीं बढ़ाएगा जब तक कि मामला हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध न हो जाए। हमने स्पष्ट किया कि हमने कोई राय व्यक्त नहीं की है। हम एसएलपी का निपटारा नहीं कर रहे हैं। 6 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में इसे फिर से सूचीबद्ध करें।'
अहमदी ने अदालत में कहा कि, आयुक्त को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था, अगर उन्हें इसे दाखिल न करने के लिए कहा जा सकता है...इसके जवाब में सीजेआई ने कहा कि, अधिवक्ता आयुक्त द्वारा दी गई किसी भी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए।