Sambhal News: संभल में मंदिर की कार्बन डेटिंग के लिए ASI की टीम मुरादाबाद पहुंची, कल शुरू होगा सर्वेक्षण

Update: 2024-12-19 17:09 GMT

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद विवाद पिछले कई महीनों से चल रहा है, जो अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके साथ ही एएसआई की टीम ने संभल में कुएं की खुदाई जारी रखी। पिछले दिनों खुदाई के दौरान कई देवी-देवताओं की छोटी-छोटी टूटी मूर्तियां मिली हैं। दावा किया गया है कि पुराने संभल शहर में स्थित एक विशाल टीले पर भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं। यह वही स्थान है, जहां पहले हरिहर मंदिर था। 

इस मामले में जिलाधिकारी ने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग कराने की बात कही थी, जो करीब 46 साल बाद खुला है। उन्होंने बताया था कि इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है। पत्रकारों से बात करते हुए जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि यह कार्तिक महादेव का मंदिर है और यहां एक कुआं (कुआं) मिला है, जो अमृत कूप है। मंदिर में पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई है। यहां अभी भी अतिक्रमण है। कल कुछ अतिक्रमण हटाया गया और हम बाकी अतिक्रमण भी हटा देंगे। हमने मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई को पत्र लिखा है।

कल संभल पहुंचेगी एएसआई की टीम, खुलेंगे कई राज

इन सबके बीच अब मंदिर की कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई की टीम कल (20 दिसंबर) संभल पहुंच सकती है। ऐसे में आपको बता दें कि कार्बन डेटिंग या रेडियोकार्बन डेटिंग किसी भी कार्बनिक पदार्थ की आयु का पता लगाने की एक वैज्ञानिक तकनीक है। यानी इसके जरिए किसी भी कार्बनिक पदार्थ की आयु का पता लगाया जाता है। यह तकनीक कार्बन-14 आइसोटोप के क्षय पर आधारित है।

60 हजार साल पुरानी सामग्रियों पर हो सकता है शोध

जानकारी के लिए बता दें कि कार्बन डेटिंग की मदद से करीब 60,000 साल पुरानी कार्बनिक सामग्रियों की आयु का पता लगाया जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल भूगर्भशास्त्री, मानवशास्त्री, पुरातत्वविद और संबंधित क्षेत्रों के शोधकर्ता बड़े पैमाने पर करते हैं। कार्बन डेटिंग की मदद से प्राचीन स्थलों पर मिली हड्डियों या सामग्रियों की आयु का भी पता लगाया जाता है।

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