सुप्रीम कोर्ट की फटकार: सड़क चौड़ीकरण के लिए घर तोड़ने पर अदालत UP सरकार के अधिकारियों से नाराज, जांच के दिए निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क चौड़ीकरण के लिए घरों को अवैध रूप से ध्वस्त करने के लिए यूपी सरकार के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। इस कार्रवाई को "अत्याचारी" करार देते हुए, कोर्ट ने याचिकाकर्ता (जिसका घर ध्वस्त किया गया) को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से ध्वस्तीकरण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सड़क अतिक्रमण के कारण राज्य अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता के घर को ध्वस्त करने पर चिंता व्यक्त की। सीजेआई ने कहा कि, आप कहते हैं कि वह 3.7 वर्गमीटर का अतिक्रमणकर्ता था, हम इसे स्वीकार करते हैं, हम उसे इसके लिए प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं, लेकिन आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त करना शुरू कर सकते हैं? किसी के घर में घुसना..यह अराजकता है।
सीजेआई ने यह भी कहा कि, यह पूरी तरह से मनमाना है, उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया? हमारे पास हलफनामा है जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आपने केवल साइट का दौरा किया और लोगों को सूचित किया।
जब अदालत में पूछा गया कि, कितने घर ध्वस्त किए गए? तो उत्तरप्रदेश राज्य के वकील ने जवाब दिया कि, 123 अवैध निर्माण थे।
जस्टिस पारदीवाला ने कहा, आपके पास यह कहने का क्या आधार है कि यह अनधिकृत था? आपने 1960 से क्या किया है? आप पिछले 50 वर्षों से क्या कर रहे थे? बहुत ही मनमाना, राज्य को एनएचआरसी के आदेशों का सम्मान करना चाहिए, आप चुप बैठे हैं और एक अधिकारी के कार्यों का बचाव कर रहे हैं। यह अधिग्रहण जैसा है, आप बुलडोजर लेकर नहीं आते और घरों को ध्वस्त नहीं करते...आपने परिवार को खाली करने का समय नहीं दिया...चौड़ीकरण तो बस एक बहाना था, ऐसा नहीं लगता कि इस पूरी कवायद के पीछे कोई कारण था।'
इस मामले में याचिकाकर्ता का आरोप था कि, स्थानीय समाचार पत्र में अधिकारियों के गलत कामों के बारे में प्रकाशित रिपोर्ट के जवाब में तोड़फोड़ की गई। पीठ ने इस आरोप पर कोई टिप्पणी नहीं की। न्यायालय ने उत्तरप्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। यह मुआवजा अंतरिम प्रकृति का है और यह याचिकाकर्ता द्वारा मुआवजे के लिए अन्य कानूनी कार्यवाही अपनाने के आड़े नहीं आएगा।
एक महीने के भीतर निर्देशों का करें पालन :
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को अवैध तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ जांच करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, राज्य अवैध कार्रवाई के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के लिए भी स्वतंत्र है। निर्देशों का एक महीने के भीतर पालन किया जाना है।
अन्य राज्यों को भी लेना होगा सबक :
निर्णय में सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं के लिए अतिक्रमण हटाने से पहले राज्य अधिकारियों द्वारा अपनाए जाने वाले कदमों को भी निर्धारित किया गया है। फैसले की कॉपी सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को प्रसारित करने का निर्देश दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर पेश हुए थे।