अरे बनियागिरी मत कर: रिश्वत लेते हुए ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडेय का वीडियो वायरल, रिश्वतखोरी और धमकी के आरोप में सस्पेंड…
शामली: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की जीरो टोलरेंस नीति के तहत बड़ा कदम उठाया गया है। शामली की ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडेय को रिश्वतखोरी और मेडिकल स्टोर संचालकों को धमकाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद की गई, जिसमें वह केमिस्ट से पैसे मांगते और खुलेआम जेल भेजने की धमकी देते हुए नजर आ रही हैं।
वायरल वीडियो बना कार्रवाई का आधार
निधि पांडेय के दो वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। पहले वीडियो में वह मेडिकल स्टोर संचालक से पैसों की मांग करती दिखीं। दूसरे वीडियो में एक दवा दुकानदार से एक्सपायर दवाओं को बेचने की बात लिखवाने के बावजूद उस पर कार्रवाई न करने का आरोप है।
शामली के जिलाधिकारी अरविंद कुमार चौहान ने इन वीडियो का संज्ञान लेते हुए जांच कराई, जिसमें निधि पांडेय को दोषी पाया गया। डीएम ने रिपोर्ट यूपी सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के प्रमुख सचिव पी. गुरु प्रसाद को भेजी। रिपोर्ट के आधार पर निधि पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और जांच की जिम्मेदारी सहायक औषधि आयुक्त, मुरादाबाद को सौंपी गई है।
शामली से हटाकर लखनऊ अटैच
सस्पेंशन की अवधि में निधि पांडेय को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के लखनऊ कार्यालय में अटैच किया गया है। वहीं, विभागीय जांच के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
पहले भी विवादों में रही हैं निधि पांडेय
ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडेय का विवादों से पुराना नाता रहा है। शामली और थानाभवन के विधायकों ने उनके खिलाफ सरकार को पत्र लिखकर ट्रांसफर की मांग की थी। वहीं, शामली केमिस्ट एसोसिएशन ने उन पर पैसे मांगने और धमकाने के आरोप लगाए थे। हालांकि, निधि पांडेय ने भी एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष समेत अन्य पर घर आकर धमकाने और लाइसेंस के लिए दबाव बनाने के आरोप लगाए थे।
सरकार का सख्त रुख
योगी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति के तहत यह कार्रवाई एक कड़ा संदेश देती है। डीएम की सिफारिश और प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद निधि पांडेय पर यह एक्शन लिया गया। विभाग ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
आरोपों की जांच जारी
अब निधि पांडेय के खिलाफ लगे आरोपों की विस्तृत जांच की जाएगी। यदि जांच में और भी गंभीर अनियमितताएं सामने आती हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।