वेबडेस्क। आज भारत संसाधनों की चुनौतियों से जूझ रहा है , जिसमें एक्टिव सेना की सेवा कम फ़ौजी ही कर पाते हैं , बाक़ी पीस ( शांत ) जगह की पोस्टिंग अथवा सप्लाई या तकनीकी कोर में ग़ैर सैनिक दायित्वों का निर्वहन करते हैं , 15 वर्ष की सेवा के बाद , वे अन्य अवसरों जिसमें , CAPF केंद्रीय पुलिस बल के अधिकारी प्रवर्ग की योग्यता खो देते हैं। सोचिए , देश के सबसे काबिल 25% युवा अग्निवीर , सेना की प्रमुख एक्टिव कोर जिसमें इंफेंट्री , टेंक , SF , आर्म्ड कोर में शामिल होंगे , बाक़ी देश की तकनीकी सेनाओं से डिप्लोमा या स्किल प्रमाणपत्र लेकर , आगे केंद्रीय / राज्य पुलिस बल में सीधी भर्ती में वरीयता पाएँगे।
वर्ष 2035 तक रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों की पेंशन होगा, जिसे टेक्स पेयर की जेब से ही देना होगा, जो सेवानिवृत्त सैनिक उम्र के 35/40 वर्ष के बाद किसी अन्य सेवा हेतु योग्य नहीं हो पाते , भविष्य में अग्निवीर योजना , उनकी 60 वर्ष तक उत्पादकता का सही उपयोग हेतु कारगर साबित होगी, और 2035 के बाद विश्व की एक उत्पादक रिज़र्व सेना होगी, जो किसी भी समय की चुनौतियों के लिए तैयार होगी।
फ़ौज तो क्या सरकारी नौकरी के लायक़ नहीं
अंतिम , जिस प्रकार की अभी आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ हैं , हमें समाज में राष्ट्र के अनुशासित युवाओं की आवश्यकता है , जो दिग्भ्रमित युवा आज हुड़दंग कर रहे हैं , उन्हें देखकर लग भी नहीं रहा की ये किसी तरह शारीरिक या मानसिक रूप से फ़ौज की नौकरी के लायक़ हैं , वैसे भी जो दंगाई , आगज़नी कर रहे हैं , सभी की विडीयो रिकॉर्डिंग जारी है , उन शुक्रवारी पत्थरबाजों की तरह ये , फ़ौज तो क्या सरकारी नौकरी के लायक़ नहीं रह पाएँगे।
इजराइल का उदाहरण -
इज़राइल देश में भी सभी नागरिकों के लिए चार वर्ष की सेना की सेवा अनिवार्य है, जिसके बिना कोई स्नातक नहीं कहलाता, आज इज़राइल दुनिया का सबसे आत्मनिर्भर देश है , जिस पर चारों ओर से आक्रमण होने के बाद भी , वह सुरक्षित है । संक्रमण काल में कुछ समस्याएँ आएँगी, जैसे रेजीमेंटेशन का भाव कैसे आएगा , एक देश , एक कमान , एक निशान का भाव कैसे जागृत किया जाएगा , मगर ये टेक्टिकल समस्याएँ हैं , जिनका समाधान दूरगामी स्ट्रेटेजी से सम्भव ह , जिसके लिए सशस्त्र सेनाएँ दूरगामी रणनीति बना रही हैं , सेना के उप प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने हाल ही में इस रणनीति की विस्तार से चर्चा की है ।हम राष्ट्र के रूप में इज़राइल से सीख ले सकते हैं अन्यथा अगले विभाजन के उद्देश्य के प्रयासों का ग्रास बन सकते हैं , निर्णय हमें लेना है।