Cash for Job Case: कैश फॉर जॉब मामले में TMC नेता कुंतल घोष को जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने रखी ये शर्त
TMC leader Kuntal Ghosh Granted Bail in Cash for Job Case : नई दिल्ली। TMC नेता कुंतल घोष को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल जॉब्स-फॉर-कैश घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में टीएमसी नेता कुंतल घोष को सशर्त जमानत दी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने आज जमानत आदेश सुनाया। हालांकि इस आदेश में कई शर्तें शामिल हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि घोष जमानत पर बाहर रहते हुए कोई सार्वजनिक पद नहीं संभाल सकते। इसके अलावा इस मामले के बारे में मीडिया में कोई बयान नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि, जमानत ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की गई अन्य शर्तों के अधीन होगी, जिसमें घोष का पासपोर्ट जमा करना और इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में उन्हें जमानत देते समय कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई अन्य शर्तें शामिल हैं।
टीएमसी नेता घोष को जमानत की शर्त के रूप में जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना पश्चिम बंगाल नहीं छोड़ने का भी आदेश दिया गया। इसके अलावा घोष को गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करके अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करने और ट्रायल कोर्ट और आईओ को अपना मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया।
ये है पूरा मामला
पश्चिम बंगाल नौकरी भर्ती घोटाला में टीएमसी नेता कुंतल घोष पर आरोप है कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया के दौरान राज्य भर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अवैध भर्तियां की गई थीं। पूर्व राज्य शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और टीएमसी पार्टी के विधायक माणिक भट्टाचार्य, शांतनु कुंडू और जीवन कृष्ण साहा सहित कई लोग इस मामले में कथित संलिप्तता के लिए जेल में हैं। सीबीआई मामले में घोष की जमानत याचिका अधिवक्ता शिल्पा सिंह के माध्यम से दायर की गई थी।
साल 2016 में 24 हजार रिक्तियों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। उच्च न्यायालय के समक्ष आरोप लगाया गया था कि अधिकांश अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट का गलत मूल्यांकन करने के बाद नौकरी दी गई थी। इसी साल मई में सर्वोच्च न्यायालय ने इन भर्तियों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी। यह मामला अभी भी शीर्ष न्यायालय के में लंबित है।