पधारो म्हारे पीलीभीत: बाघों की दहाड़, गोमती आरती और शारदा सागर की अद्भुत सुंदरता, नए साल की परफेक्ट डेस्टिनेशन…

Update: 2024-12-31 09:50 GMT

कुंवर निर्भय सिंह, पीलीभीत। नववर्ष की दस्तक हो चुकी है। नए वर्ष का लुफ्त उठाने के लिए किसी खास स्थान पर घूमने का मन बना रहे हैं तो आपके लिए पीलीभीत बेहद खास हो सकता है। यहां धार्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक मनोरम सुन्दरता, जंगल जीव-जंतु और एडवेंचर सब कुछ एक साथ मौजूद है।

नेपाल का सीमावर्ती जिला पीलीभीत गोमती के उद्गम, बांसुरी नगरी एवं बाघों की धरती कहा जाता है। यहां खूबसूरत धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां आप परिवार के साथ नए वर्ष को खास बना सकते हैं। हिमालय की तलहटी में बसा खूबसूरत वनों से आच्छादित पीलीभीत वन्य जीव-जंतुओं से समृद्ध है।


कई मार्ग जंगल के बीचों-बीच से गुजरते हैं जो अपने आप में ही मनमोहक लगते हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व बन जाने के बाद स्थानीय पर्यटकों के अलावा देश-विदेश के पर्यटकों ने भी आमद दर्ज करा रहे हैं।

स्थिति यह हो गई की पीलीभीत टाइगर रिजर्व के मशहूर चूका स्पॉट और वन क्षेत्र के सभी गेस्ट हाउस एडवांस बुक हो चुके हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पहुंचने पर आपको सरलता से बाघ के दर्शन हो जाएंगे। यह वर्ष आपके लिए यादगार बन जायेगा।

जंगल सफारी करते समय आपको घास के मैदान में या सड़क पर हिरणों के झुंड कुलांचे मारकर करीब से गुजर जाएंगे। सड़क पर आराम करते अजगर के भी दर्शन हो सकते हैं। शारदा सागर के जलाशय में सुबह की धूप का आनंद लेता मगरमच्छ भी दिख सकता है।


शारदा सागर के डैम के साइबेरियन पक्षियों के झुंड कलरव करते हुए दिखाई दे जाएंगे जो मन की शांति को और सुकून देंगे। चारों ओर प्रकृति की खूबसूरती ही नजर आएगी। खूबसूरत पीलीभीत टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी करते समय शारदा मुख्य कैनाल की धारा भी मन मोह लेगी।

मोर, मुर्गे और बंदर कदम-कदम पर स्वागत करते दिखेंगे। मन को शांति प्रदान करने के लिए गोधूलि बेला में आदि गंगा गोमती नदी का उद्गम स्थल माधोटांडा की फुल्हर झील के नजारे भी आकर्षित करने में निराश नहीं करेंगे। यहां काशी की तर्ज पर होने वाली सायंकाल आरती आपके मन को मोह लेगी।

पीलीभीत के खूबसूरत पिकनिक-धार्मिक स्पॉट

आदि गंगा गोमती उद्गम स्थल स्थल : लखनऊ की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली आदि गंगा गोमती का उद्गम स्थल माधोटांडा के गोमत झील है। इस नदी का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है। उद्गम स्थल के तट पर कई प्राचीन मंदिर एवं माधोटांडा के राजघराने की हुई।

सतियों के भी मंदिर हैं। गोमती तट पर बाबा दुर्गा नाथ का समाधि मंदिर एवं माता गोमती का भव्य मंदिर है। उद्गम तीर्थ स्थल पर शाम को काशी की तर्ज पर आरती होती है। इसमें सैकड़ों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।


यहां ट्रैवल कैफे, बेहतरीन हट्स, गोमती फन जोन हैं, जिसमें नन्हे-मुन्ने बच्चे से बड़े-बूढ़े भी ट्रेन की सफारी का आनंद उठा सकते हैं।

पीटीआर का मिनी गोवा यानी चूका स्पॉट : वन संपदा से परिपूर्ण पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) क्षेत्र में बना चूका स्पॉट लोगों की पहली पसंद होता जा रहा है। हरे-भरे जंगलों के बीच एक ओर 22 किमी लम्बा एवं पांच किमी चौड़ा शारदा सागर जलाशय का नीला स्वच्छ जल उसमें कल-कल करते हुए लाखों साइबेरियन पक्षी लोगों का मन मोह लेते हैं। चूका स्पॉट पर वॉटर हट, ट्री हट, थारु हॉट पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

अंग्रेजों के जमाने का बना नहरों का जंक्शन 'बाइफरकेशन' : माधोटांडा स्टेट के नजदीक बराही वन क्षेत्र में 1926 में अंग्रेजों ने खूबसूरत जंगल के बीचो-बीच यहां के किसानों को उनकी फसलों की सिंचाई के लिए समुचित जल उपलब्ध कराने के लिए नहरों का जाल फैलाया।


एक वीआईपी निरीक्षण भवन का निर्माण कराया। ब्रिटिश काल के समय का बना हुआ यह निरीक्षण भवन आज गेस्ट हाउस का रूप में लगातार मशहूर हो रहा है।

साल-सागौन के हरे-भरे जंगल की खूबसूरत वादियां : जंगल की खूबसूरती और प्राकृतिक वन संपदा केवल भारत में ही नहीं देश-दुनिया के तमाम देशों में प्रसिद्ध थी। आज भी यहां के प्राकृतिक वन और उनके बीच से निकलने वाली नहरे, घने सुरम्य वादियों के जंगल के बीच ब्रिटिश काल की बनी हुई कोठियां (जिन्हें आज गेस्ट हाउस कहा जाता है) अनायास ही लोगों को मोबाइल में तस्वीर उतारने को लेकर विवश कर देते हैं। ऐसा लगता है जैसे स्वयं विधाता ने दोनों हाथों से पीलीभीत की सुंदरता को निखारा है।


नेपाल सीमा पर कल-कल करती हुई शारदा : हिमालय पर्वत की प्रमोद दायिनी शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे होने के कारण अपने अंक में प्राकृतिक सुंदरता को समाए हुए है। इसकी शिवालिक पहाड़ियों से कल कल का नाद करती हुई शारदा नदी का इठलाता बलखाता विहंगम दृश्य मन को मोह लेता है। इस नदी के तट पर खूबसूरत जंगल और बंगाली कॉलोनी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं।

ब्रिटिश काल का सप्त सरोवर : बराही जंगल में बंगाली कॉलोनी के नजदीक सौ साल पहले बना सात झाल आज का सप्त सरोवर भी अपने आप में अजूबा है। यह जगह भी बेहद खूबसूरत है। इस स्थल का निर्माण भी ब्रिटिश काल में ही कराया गया था।

शारदा सागर भी सुंदरता में लगा रहा चार चांद : 22 किमी लंबे और 5 किमी चौड़े शारदा सागर जलाशय के अथाह जल को देख कर ऐसा लगता है जैसे मुंबई के किनारे का सागर अपनी हिलोरे यहां पर मार रहा है।

जलाशय में उठती हुई लहरें लोगों के मन में रोमांच पैदा कर देता है। इसकी खूबसूरती मनमोहक है। यहां की शाम और सुबह का दृश्य अपने आप में बड़ा ही मनमोहक होता है। जलाशय में कलरव करते हुए साइबेरियन पक्षी और धूप सेकते हुए मगरमच्छ अपने आप ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।

कई प्रांतों की संस्कृति भी मौजूद : यहां हमें केरल, उड़ीसा, असम और पश्चिम बंगाल की संस्कृति के शारदा सागर जलाशय और शारदा नदी के बीच में बसी बंगाली बाहुल्य कॉलोनियों में दर्शन होते हैं। यहां बने खूबसूरत घर सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यहां पूर्वांचल की भोजपुरी संस्कृति के भी दर्शन होते हैं।


गौरी शंकर मंदिर : 252 वर्ष पूर्व देवहा और खकरा नदी के पास स्थापित गौरी शंकर मंदिर अत्यंत ही प्राचीन है। वर्ष 1770 में मंदिर का भव्य मुख्य द्वार मुगलिया और राजपूत शैली में बनाया गया था।

राजा वेणु का किला : पौराणिक और ऐतिहासिक भव्यता को समाहित किए हुए धर्म शास्त्रों में वर्णित माधोटांडा क्षेत्र के शहागढ़ रेलवे स्टेशन के नजदीक राजा वेणु का किला था जिस के खंडहर के अवशेष आज भी अपने वैभव की कहानी कहते हुए नजर आ रहे हैं। माती माफी में भी राजा वेणु का महल व देवी मंदिर स्थापित है।

अद्भुत शिवलिंग वाला इकहत्तरनाथ शिव मंदिर : पूरनपुर क्षेत्र के जंगल में स्थापित एकहत्तहरनाथ का मंदिर अपने आप में अद्भुत है। यहां पर स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। यह मंदिर गोमती तट पर स्थित है। इस मंदिर के तीन ओर जंगल और एक और नदी का तट है। मान्यता है कि देवराज इंद्र ने श्राप मुक्ति हेतु खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी और वे प्रतिदिन यहां पूजा करने भी आते हैं।

पर्यटक इनके भी कर सकते दीदार : इला बांस, गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा छेवी पातशाही, राधा रमण मंदिर, श्री ठाकुरद्वारा मंदिर, माता वाराही देवी मंदिर एवं सेल्हा बाबा सहित अन्य धार्मिक, रमणीय एवं ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका पर्यटक दीदार कर आनंद उठा सकते हैं। 


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