शिक्षामित्रों के अपमान पर विधानसभा में हंगामा: बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, ‘माफी मांगें सपा विधायक’...

Update: 2025-02-25 13:41 GMT

लखनऊ। विधानसभा सत्र के छठे दिन शिक्षामित्रों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने सपा विधायक द्वारा शिक्षामित्रों की तुलना पशु से किए जाने को शर्मनाक करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह सपा की पुरानी फितरत है कि वह शिक्षामित्रों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करे।

इससे पहले भी सदन में ऐसा हो चुका है। विपक्ष को इस गलती के लिए शिक्षामित्रों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। मंत्री ने शिक्षामित्रों के सम्मान और कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। विधानसभा में हुए इस विवाद के बाद यह साफ हो गया कि योगी सरकार शिक्षामित्रों के हितों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। वहीं, सपा विधायक की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सियासी माहौल गर्म है। अब देखना होगा कि विपक्ष माफी मांगता है या इस मुद्दे पर राजनीति और तेज होती है।

विधानसभा में गूंजा शिक्षामित्रों का मुद्दा : सदन में शिक्षामित्रों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान सपा विधायक की आपत्तिजनक टिप्पणी पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने कड़ा विरोध जताया। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने इसे शिक्षामित्रों का अपमान करार देते हुए कहा कि सपा का इतिहास ही शिक्षामित्रों के प्रति असंवेदनशीलता का रहा है।

उन्होंने कहा, 'यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने शिक्षामित्रों का अपमान किया हो। पहले भी सपा शासनकाल में शिक्षामित्रों की अनदेखी की गई थी। विपक्ष को शिक्षामित्रों से सदन में खड़े होकर माफी मांगनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षामित्रों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस तरह के अपमानजनक बयान कतई बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

2017 से पहले शिक्षामित्रों की स्थिति दयनीय थी : मंत्री संदीप सिंह ने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2017 से पहले परिषदीय विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थीं। उन्होंने कहा, 'अगर सपा सरकार ने अपने कार्यकाल में सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने की चिंता की होती, तो हमें 'ऑपरेशन कायाकल्प' जैसी योजना नहीं चलानी पड़ती।'

उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा पहले भी शिक्षामित्रों को अपमानजनक टिप्पणियों का शिकार बनाया जाता रहा है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब विपक्ष ने शिक्षामित्रों की तुलना पशुओं से की हो। इससे पहले भी सदन में ऐसी असंवेदनशील टिप्पणियां की गई हैं।

सरकार शिक्षामित्रों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध : बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि योगी सरकार शिक्षामित्रों के हितों को लेकर लगातार संवेदनशील रही है। इसी दिशा में 2017 तक मात्र 3,500 रुपये मिल रहे शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया, जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिला। इसके साथ ही, स्थानांतरण नीति में बदलाव करते हुए समायोजन के दौरान दूरस्थ क्षेत्रों में नियुक्त शिक्षामित्रों को अपनी इच्छानुसार स्थान परिवर्तन की सुविधा देने का निर्णय लिया गया है, ताकि वे अपने परिवार और कार्यस्थल के बीच संतुलन बना सकें।

इस दौरान मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार शिक्षामित्रों के योगदान को महत्वपूर्ण मानती है और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। सरकार चाहती है कि शिक्षामित्र आत्मनिर्भर बनें और शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाएं।

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