4.20 करोड़ से 18 मीटर लंबा पुल स्वीकृत हुआ, शीघ्र होगा निर्माण
स्कूली बच्चों की पीड़ा देख मुख्यमंत्री योगी ने दी पुल की सौगात
झांसी। जनपद के दो गांवों के बीच बहने वाली पथराई नदी पर ब्रिज बनाने की सौगात मिली है। इस ब्रिज को बनवाने में सबसे बड़ी भूमिका स्कूली बच्चों की है। मालूम हो कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए रोजाना नदी को दो बार पार करनी पड़ती थी। एक स्कूल जाते वक्त और दूसरी बार घर आते वक्त। नदी पार करते स्कूली बच्चों की फोटो किसी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। जो सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गई और सालभर से लटका पुल बनाने का प्रस्ताव एक झटके में पास हो गया। अब जल्द ही ब्रिज का काम शुरू हो जाएगा।
कुछ दिन पहले सोशल मीडियो पर एक फोटो वायरल हुई थी। जिसमें स्कूल ड्रेस में कुछ बच्चे नदी को पार कर रहे थे। इस फोटो पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी नजर पड़ गई और उन्होंने फोटो की जांच कर एक्शन लेने के निर्देश दिए। सीएम ऑफिस से जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि फोटो झांसी जनपद की है। बंगरा ब्लॉक के राजगिर और लठसेरा के बीच पथराई नदी बहती है। राजगिर में प्राथमिक विद्यालय है, जबकि लठासेरा गांव में स्कूल नहीं है। लठसेरा के बच्चे राजगिर के प्राथिमिक विद्यालय में पढ़ने जाते हैं। नदी पर पुल न होने की वजह से उन्हें जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
तुरंत ही मिली मंजूरी
बारिश के दिनों में जब नदी का वेग बढ़ जाता है तो बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं। सीएम ऑफिस ने झांसी के पीडब्ल्यूडी विभाग से संपर्क साधा। तब पता चला कि इस नदी पर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव करीब एक साल पहले ही बनाकर भेजा जा चुका है। 4.20 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण होना प्रस्तावित है, लेकिन शासन से धनराशि नहीं मिल पाई। बात सीएम तक पहुंची तो फिर क्या था, पलक झपकते ही पुल निर्माण को मंजूरी मिल गई।पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियन्ता राहुल शर्मा ने बताया कि राजगिर और लठसेरा गांव के बीच पथरई नदी बहती है। दोनों गांव को जोड़ने के लिए पुल नहीं था। ऐसे में लठसेरा गांव के बच्चों को नदी पार करके राजगिर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए आना पड़ता था।अब शासन के निर्देश पर यहां 18 मीटर लंबा और 3 मीटर चौडा पुल बनाया जाना है। इसके लिए विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर कार्यस्थल का चयन करते हुए इसकी जानकारी मुख्यालय भेज दी है। यहां पर बहुत पहले से पुल निर्माण की मांग ग्रामीणों द्वारा की जा रही थी।