फतेहपुर: दुष्कर्म-महिला उत्पीड़न पर एफआईआर दर्ज होना जरूरी या मजबूरी

आज के समय में किसी पर दुष्कर्म या महिला उत्पीड़न का आरोप लग जाए तो कोई बड़ी बात नही है। पुलिस भी अपनी छीछालेदर से बचने के लिए मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय भेज देती है

Update: 2021-05-27 07:17 GMT

फतेहपुर (आशीष सिंह): आज के समय में किसी पर दुष्कर्म या महिला उत्पीड़न का आरोप लग जाए तो कोई बड़ी बात नही है। पुलिस भी अपनी छीछालेदर से बचने के लिए मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय भेज देती है। यह सब केवल आम आदमी के साथ ही नही हो रहा बल्कि किसी के साथ भी हो सकता है। जिले में मंगलवार को असोथर थाना प्रभारी नागेंद्र कुमार नागर पर भी एक विवादास्पद महिला ने महिला उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा दिया। इतना ही नही कप्तान से शिकायत भी कर दी। कहने का मतलब है कि जरा सा चूके तो मुकदमा दर्ज हो जाएगा और आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है।

पिछले कुछ महीनों के दौरान फतेहपुर जिले में ऐसे कई मामले देखने को मिले जहां पर मामूली विवाद, बच्चों की लड़ाई, पानी भरने के विवाद, चुनावी रंजिश, प्रेम प्रसंग जैसे मामलों पर एक ने दूसरे पर दुष्कर्म या महिला उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया। कुछ मामलों पर स्थानीय पुलिस ने समझाने का प्रयास किया लेकिन जब एक पक्ष मुकदमा दर्ज करने पर अड़ गया तो मजबूरी में थाना प्रभारियों को मुकदमा दर्ज करना पड़ा।

जानकारों की माने तो किसी महिला का दुष्कर्म हुआ हो या न हुआ हो पीड़िता के बयान मात्र से ही आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य माना जाता है। मेडिकल रिपोर्ट भी यदि आरोपी के पक्ष में है तब भी पीड़िता का बयान ही सर्वोपरि होगा। अब चाहे पीड़ित सही हो या गलत!


मामले पर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि ऐसे मामलों पर तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करना मजबूरी हो जाती है। यदि मुकदमा नही लिखा जाएगा तो मीडिया ट्रायल, वरिष्ठ अधिकारी, महिला आयोग और न्यायालय से नोटिस आने जैसे तमाम दबाव बन सकते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना मजबूरी हो जाता है।

बीते माह जिले में हुए कुछ घटनाक्रम-

25 मई 2021-

असोथर थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपने पक्ष में रिपोर्ट तैयार न करने पर इंस्पेक्टर नागेंद्र कुमार नागर को धमकाया। महिला उत्पीड़न का आरोप लगा कर आयोग तक घसीटने की धमकी दी।

मई 2021-

मलवां थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपने जेठ पर घर में घुस कर बच्चों के सामने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। तहरीर लेकर थाने भी पहुंची। बाद में पता चला कि हैंडपंप से पानी भरने का विवाद था।

मार्च 2021-

खागा थाना क्षेत्र में एक ने दूसरे पर दर्ज करवाया दुष्कर्म का मुकदमा, दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी, मामला प्रेम प्रसंग का बताया जा रहा

जनवरी 2021-

हुसैनगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में मायके से आयी महिला को ससुराल वालों ने जलाया। देवर बचाने आया झुलसा, उपचार के दौरान भाभी-देवर की मौत। मायका पक्ष ने देवर के खिलाफ भी हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

नवम्बर 2020-

बिंदकी में बच्चों का विवाद बढ़ा तो दूसरे पक्ष ने दर्ज कराई रेप की एफआईआर, दोनों के घर आमने-सामने।

अक्टूबर 2020-

खागा में नाबालिक बच्चे पर पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म का मामला, एफआईआर दर्ज। स्थानीय लोगों के अनुसार दोनों पार्क में खेल रहे थे।

अक्टूबर 2020-

असोथर थाना क्षेत्र के एक गांव में एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के पिता और उनके दोनों पुत्रों पर अपनी नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया।

अक्टूबर 2020-

मलवां थाना क्षेत्र में प्रेमी-प्रेमिका के बीच विवाह को लेकर झगड़ा। प्रेमी ने की प्रेमिका की हत्या। एफआईआर दुष्कर्म और हत्या का दर्ज कराया गया।

अक्टूबर 2020-

ललौली थाना क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान घर आए युवक का युवती से प्रेम प्रसंग हुआ। युवक के बुलाने पर युवती खेत पहुंची। यहीं पर किसी बात को लेकर विवाद और फिर युवक ने युवती की हत्या की। परिजनों ने युवक के साथ उसके दोस्त पर गैंगरेप-हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

मामले पर सभी को करना होगा मंथन-

यह तो केवल बानगी मात्र है, खोजने से ऐसे न जाने कितने मामले मिल जाएंगे जहां पर दुष्कर्म या महिला उत्पीड़न पर ऐसी ही कार्यवाई हुई। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कुछ मामलों में यह घटनाएं सही भी होती हैं, लेकिन अधिकतर फर्जी मामले होते हैं। हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जो बातें पता चलती हैं, वह भी कहीं न कहीं ऐसे मामलों पर सत्य होतीं हैं। दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न को आपसी वैमनस्यता से जोड़कर इसका गलत उपयोग न हो इसके लिए मीडिया, पुलिस, महिला आयोग और संबंधित जिम्मेदारों को आगे आना होगा। जिससे समाजिक ताने-बाने को व्यवस्थित रूप से चलाया जा सके।

"दुष्कर्म जैसी वारदात में एफआईआर तो बहुत जरूरी होती है, लेकिन सामान्य विवाद को दुष्कर्म के रूप में नही दर्ज करना चाहिए। इसके लिए स्थानीय पुलिस के पास साधन-संसाधन होते हैं वह स्वयं पड़ताल करवा सकते हैं। महिला आयोग का प्रयास रहता है कि महिलाओं को न्याय मिले न कि किसी बेगुनाह को सजा मिले। आयोग पुलिस के कार्य में हस्तक्षेप नही करती है। इसलिए सही को सही और गलत को गलत ही कहा जाना चाहिए।"- कुमुद श्रीवस्तव, सदस्य, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश

"महिला उत्पीड़न के खिलाफ हमारे पास जो भी तहरीर आती है, उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज होता है। नियमानुसार कार्यवाई करने के बाद आरोपी को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है। न्यायालय का निर्णय ही न्याय होता है।"-सतपाल आंतिल, पुलिस अधीक्षक, फतेहपुर

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